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एक तरफ जीएसटी चोरी पर सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है तो दूसरी तरफ सोने की तस्करी का रैकेट मजबूत हो रहा है। सराफा कारोबारी अपने ‘कैरियर’ (तस्करी की भाषा में ट्रैवलर) के जरिये प्रदेश में तस्करी का सोना ला रहे हैं। इसमें सबसे ‘बदनाम’ लेकिन ‘महफूज’ रूट कोलकाता-मिर्जापुर-मुगलसराय का इस्तेमाल हो रहा है।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक हर महीने 250 किलो से ज्यादा सोना ‘बदनाम’ रूट से आ रहा है। इसके अतिरिक्त करीब 300 किलो सोना अन्य रास्तों से पहुंच रहा है। इस खेल में कई सफेदपोश सराफा कारोबारियों की भूमिका सामने आई है। करीब 76 कारोबारी जांच एजेंसी के रडार पर हैं। इनमें से सबसे ज्यादा कानपुर, लखनऊ व गाजियाबाद के हैं।
जांच एजेंसियों के मुताबिक पहले सबसे ज्यादा तस्करी का सोना नेपाल के रास्ते आता था। अब इसका बड़ा हिस्सा चीन से म्यांमार में प्रवेश करता है। इसके बाद मांडले-कलेवा मार्ग से भारत-म्यांमार सीमा पर लाया जाता है। मणिपुर, मिजोरम व नागालैंड के दुर्गम इलाकों से यह सोना भारत पहुंचता है और फिर सड़क मार्ग से एक हिस्सा यूपी पहुंच रहा है। दूसरा स्रोत दुबई है। वहां से मुंबई व गुजरात के रास्ते यूपी पहुंचाया जाता है। तीसरा स्रोत बांग्लादेश है। वहां से कोलकाता के रास्ते तस्करी का सोना आ रहा है। तीसरे रूट को तस्कर सबसे ‘सेफ पैसेज’ मानते हैं। इसमें ट्रेन व सड़क दोनों मार्ग का इस्तेमाल होता है। इसी रूट से कारोबारी के ‘ट्रैवलर’ कानपुर, लखनऊ व गाजियाबाद में 80 फीसदी सोना खपा रहे हैं।
मुनाफा बढ़ा तो तस्करी में तेजी भी
जांच एजेंसी के मुताबिक सोने पर आयात शुल्क, सेस व जीएसटी मिलाकर लगभग 17 फीसदी टैैक्स है। एक किलो सोना करीब 62 लाख रुपये का है। इस पर टैक्स करीब 10 लाख है। एक किलो सोने की तस्करी में तस्कर से व्यापारी तक सोना पहुंचाने वाले ‘ट्रैवलर’ और अन्य बंटवारे के बाद भी मंगाने वाले को छह लाख रुपये की बचत हो रही है। जबकि पहले चार लाख रुपये प्रति किलो की बचत होती थी।
सिंडीकेट की गहरी जड़ें
पिछले दिनों राजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरई) मुंबई की सूचना पर इंदौर से ‘जैन’ नाम के ट्रैवलर को पकड़ा गया था। वह मूलरूप से बांदा का निकला। पूछताछ में उसने उगला कि वह सोने की सप्लाई लखनऊ, कानपुर व गाजियाबाद में कर रहा था। उसने कानपुर के चार, लखनऊ के तीन व गाजियाबाद के चार कारोबारियों के नाम खोले हैं। हाल में इन शहरों में छापेमारी व गिरफ्तारी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। अब बड़े स्तर पर कार्रवाई की तैयारी है।
डीआरई के मुताबिक तस्करी
37% म्यांमार से
20% मिडिल ईस्ट
7% बांग्लादेश
36% अन्य देशों से