बढ़ाई जा सकती है डॉक्टरों के रिटायर होने की उम्र
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प्रादेशिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के तहत कार्यरत चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति 62 से बढ़ाकर 65 साल करने का मसौदा तैयार कर लिया गया है। 62 साल के बाद डॉक्टर प्रशासनिक पद पर कार्य नहीं करेंगे। वे सिर्फ मरीजों के उपचार में लगेंगे। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद लागू होगा।
प्रदेश में प्रादेशकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग में डॉक्टरों के करीब छह हजार पद खाली चल रहे हैं। इन पदों को भरने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इस बीच स्वास्थ्य विभाग की ओर वर्तमान में कार्यरत चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 साल करने का मसौदा तैयार किया गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि नई नियमावली के मसौदे में कई विकल्प दिए गए हैं। इसमें यह व्यवस्था दी गई है कि 62 साल की उम्र सीमा तक ही डॉक्टर प्रशासनिक पद पर कार्य कर सकेंगे। इसके बाद तीन साल तक सिर्फ मरीजों का उपचार करेंगे।
जिन डॉक्टरों ने निदेशक और महानिदेशक जैसे पद पर कार्य कर लिया और 62 साल के बाद मरीजों के उपचार में नहीं लगना चाहते हैं, वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले सकेंगे। ऐसे में उनके वीआरएस मंजूरी में किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई जाएगी। विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि नए प्रावधानों में सभी पहलुओं को समाहित किया गया है। प्रदेश के चिकित्सकों की राय, दूसरे राज्यों की व्यवस्था आदि का मूल्यांकन करने के बाद इसे तैयार किया गया है। ताकि किसी भी डॉक्टर का हित प्रभावित न होने पाए। जल्द ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा।
तीन साल की पुनर्नियुक्ति का भी प्रावधान
अभी तक 62 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने वाले चिकित्सक अपनी इच्छा के मुताबिक तीन साल तक दोबारा नियुक्ति हासिल करके मरीजों की सेवा कर सकते हैं। इसके एवज में उन्हें अंतिम तनख्वाह के बराबर भुगतान मिलता है। इस भुगतान में पेंशन की राशि कम कर दी जाती है। अब 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने वाले भी अगले तीन साल तक दोबारा नियुक्त के जरिए मरीजों की सेवा कर सकेंगे। उनकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए यह भी व्यवस्था की गई है कि जो लोग असेवित जिलों में नहीं जा सकेंगे। उन सीटों की अपेक्षा महानगरों में खाली पदों के एवज में समायोजित किया जा सकेगा। कुछ अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी देने का प्रावधान किया गया है।
लंबे समय तक चला मंथन
चिकित्सकों की उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर सालभर से मंथन चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से महानिदेशक से प्रस्ताव मांगा गया था। इस पर महानिदेशालय ने कमेटी बनाई। इस कमेटी ने उम्र सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। कमेटी का तर्क था कि 65 साल उम्र सीमा करने से जूनियर डॉक्टरों को प्रशासनिक कार्य करने का मौका नहीं मिलेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक कार्य की समय सीमा 62 वर्ष ही रखी गई है।