रामनगर की रामलीला का दूसरा दिन
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विश्वप्रसिद्ध रामलीला के दूसरे दिन रामनगर का कण-कण राममय हो उठा जब भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया। पूरी अयोध्या खुश थी। खुश क्यों न होती, जब राजा दशरथ को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। उन्हें श्रीराम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न जैसे पुत्र मिले। अयोध्या में सोहर गूंजे, बधाई गीत गाए गए। रामनगर की रामलीला में बालकांड के 187.7 से 205.1 तक के दोहों के सस्वर पाठ के दौरान अवध में पुत्र प्राप्ति यज्ञ, राम का जन्म, विराट दर्शन, बाल लीला, यज्ञोपवीत, मृगया की लीला हुई।
दूसरे दिन की लीला में अयोध्या के राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं और कहते हैं कि आपकी कृपा से हमें सबकुछ मिला परंतु पुत्र नहीं है। यह बहुत दुखद लगता है। वशिष्ठ आश्वासन देते हैं कि पूर्व जन्म में तुम्हारा नाम मनु और कौशल्या का नाम सतरूपा था। तुम लोगों ने तपस्या कर भगवान से अपना पुत्र होने का वर मांगा था। धीरज रखो, तुम्हें चार पुत्र प्राप्त होंगे। राजा दशरथ पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाते हैं। अग्निदेव प्रकट होते हैं। राजा दशरथ को एक द्रव्य देकर तीनों रानियों को उचित अनुपात में देने के लिए कहते हैं।
दशरथ उस द्रव्य का आधा भाग कौशल्या और आधे भाग में से बराबर-बराबर कैकेयी और सुमित्रा में बांट देते हैं। देवतागण उनकी स्तुति करते हैं फिर रानियों को पुत्रों की प्राप्ति होती है। श्रीराम उनसे कहते हैं कि तुम दोनों ने बहुत तपस्या की है। तुमने हमसे पुत्र मांगा सो उसको सत्य करने के लिए मैं स्वयं तुम्हारे घर प्रकट हुआ। तब कौशल्या उनसे यह रूप छोड़ बाललीला करने को कहती हैं।