रामनगर की रामलीला में रविवार को मंचन
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हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी, तुम्ह देखी सीता मृगनैनी। खंजन सुक कपोत मृग मीना, मधुप निकर कोकिला प्रबीना…। श्रीरामचरित मानस में तुलसीदासजी लिखते हैं कि व्याकुल हो भगवान श्रीराम सीताजी को वन-वन ढूंढते फिर रहे हैं। वह पशु, पक्षियों से सीता के बारे में पूछते हैं। कहते हैं कि हे पक्षियो ! हे पशुओ! हे भौंरों की पंक्तियों ! तुमने कहीं मृगनयनी सीता को देखा है।
रामनगर की रामलीला में जानकी के वियोग में श्रीराम की ऐसी दशा देख लीलाप्रेमियों की आंखें नम हो गई। रविवार को लीला प्रसंग यथा जटायु मोक्ष, सबरी फल भोजन, वन वर्णन, पंपासर पर्यटन, नारद- हनुमान व सुग्रीव मिलन लीला का मंचन किया गया। सीता को कुटिया में न पाकर प्रभु श्रीराम व्याकुल हो उठते हैं। तलाश में विलाप करते वन-वन भटकते हैं।
जाल्हूपुर: श्रीराम की भक्ति में लीन शबरी ने खिलाया जूठे बेर
जाल्हूपुर के टूड़ी नगर की रामलीला में रविवार को सीता वियोग में राम विलाप, जटायु मरण, शबरी फल भोजन आदि प्रसंगों की प्रस्तुति की गई।
नियार में धूमधाम से निकली राम बरात
नियार की रामलीला में रविवार को राम बरात निकाली गई। नियार, बाबतपुर, रजला, उधोरामपुर समेत कई गांव के लोग बरात में शामिल हुए।