लखनऊ पीठ का आदेश: पांच विशेषज्ञों की समिति करेगी आदिपुरुष का पुनरीक्षण, फिर तय होगा फिल्म का भविष्य

लखनऊ पीठ का आदेश: पांच विशेषज्ञों की समिति करेगी आदिपुरुष का पुनरीक्षण, फिर तय होगा फिल्म का भविष्य



आदिपुरुष
– फोटो : सोशल मीडिया

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हाल ही में रिलीज फिल्म आदिपुरुष के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को सख्त आदेश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को विशेषज्ञों की 5 सदस्यीय समिति बनाकर फिल्म का पुनरीक्षण कराने का आदेश दिया। इनमें दो सदस्य गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस व श्रीमद वाल्मीकि रामायण व अन्य धार्मिक महाकाव्यों के विद्वान होंगें जिससे यह देखा जा सके कि फिल्म में दिखाए गए भगवान राम, सीता जी, हनुमान जी व रावण आदि की कहानी को इन महान धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दिखाया गया है या नहीं। 

कोर्ट ने कहा कि इसके साथ समिति यह भी देखे कि फिल्म में देवी सीता व विभीषण की पत्नी को निम्नस्तर पर या अश्लील चारित्र में तो नहीं दिखाया गया है, जो सेन्सर बोर्ड के दिशानिर्देशों के तहत हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा कि याचिका के साथ दाखिल किए गए दृश्यों में विभीषण की पत्नी के कुछ चित्र अश्लील लगते हैं। कोर्ट ने कहा यह समिति हफ्ते भर में बनाई जाय। इसके बाद केंद्रीय सूचना प्रसारण सचिव निजी हलफनामे के साथ 15 दिन में समिति की रिपोर्ट 27 जुलाई तक कोर्ट में पेश करेंगें।

कोर्ट ने फिल्म प्रमाणीकरण बोर्ड के चेयरमैन को भी आदेश दिया कि संबंधित दस्तावेजों के साथ इस आशय का हलफ़नामा पेश करें कि फिल्म आदिपुरुष को दिखाने का प्रमाणपत्र जारी करते समय सेन्सर बोर्ड के दिशानिर्देशों का पालन किया गया या नहीँ। कोर्ट ने सख्त ताकीद किया कि अगर ये हलफनामे इन अफसरों ने न दाखिल किए तो अगली सुनवाई पर 27 जुलाई को इनके उप सचिव स्तर के अधिकारी को कोर्ट में पेश होना होगा। कोर्ट ने फिल्म के निर्देशक ओम राऊत, भूषण कुमार व संवाद लेखक मनोज मुंताशिर को भी खुद की सदाशयता दिखाने वाले जवाबी हलफनामे के साथ 27 जुलाई को तलब किया है।

न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में दाखिल दो याचिकाओं पर दिया। याचिकाओं में इस फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की गुहार हाईकोर्ट में की गई है। याचियों की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व प्रिंस लेनिन ने फिल्म में दिखाए गए सीन के फोटोज को आपत्तिजनक कहकर पेश किया। उन्होने इसे हिन्दू सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ कहकर सख्त कारवाई का आग्रह किया।

उधर, राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह पेश हुए और इसे हिन्दू आस्था से जुड़ा मामला कहा। केंद्र की ओर से उप सॉलिसीटर जनरल एस बी पांडेय पेश हुए।उनके जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। और मामले को गम्भीर सरोकार वाला कहकर केंद्र को फिल्म का पुनरीक्षण करवाने के आदेश के साथ पक्षकारों से जवाब तलब किया।

जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं

राज्य सरकार की ओर से पेश मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने इसे हिंदू आस्था से जुड़ा मामला बताया। केंद्र की ओर से उपसॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय ने दलीलें रखीं। खंडपीठ उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और मामले को गंभीर सरोकार वाला बताकर फिल्म के पुनरीक्षण का आदेश दिया।

पूर्ण प्रतिबंध की मांग

हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की गुहार की गई है। याचियों की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री व प्रिंस लेनिन ने फिल्म में दिखाए दृश्यों की तस्वीरों को आपत्तिजनक कहकर पेश किया। उन्होंने इसे हिंदू सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ बताते हुए सख्त कार्रवाई का आग्रह किया। 

 



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