विकास सिंह को एनआईए ने दबोचा : लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के शूटरों को संरक्षण देने व आपराधिक साजिश रचने का आरोप

विकास सिंह को एनआईए ने दबोचा : लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के शूटरों को संरक्षण देने व आपराधिक साजिश रचने का आरोप



विकास सिंह
– फोटो : amar ujala

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एनआईए की टीम ने जांच के दौरान पुख्ता सुबूत मिलने के बाद बुधवार को अयोध्या के हिस्ट्रीशीटर विकास सिंह को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। विकास पर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के शूटरों को संरक्षण देने व आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। 17 मई को एनआईए ने लखनऊ के गोमती नगर स्थित विकास सिंह के एक फ्लैट पर छापा मारा था। उस समय विकास अयोध्या स्थित अपने आवास पर था। एनआईए की टीम यहां भी आई थी और उसके आवास पर बंद कमरे में दो घंटे पूछताछ की थी। टीम ने विकास के दो मोबाइल फोन भी जब्त किए थे।

सूत्रों के अनुसार, एनआईए की टीम ने महाराजगंज थाना क्षेत्र के देवगढ़ निवासी विकास को पूछताछ के लिए पांच दिन की हिरासत में लिया है। एनआईए ने अपनी जांच में विकास को लाॅरेंस बिश्नोई गिरोह का सदस्य माना है। जांच में पता चला है कि विकास को लॉरेंस बिश्नोई के एक अन्य सहयोगी और मित्र विक्की मधुखेरा ने लॉरेंस बिश्नोई से मिलवाया था। विकास ने पहले से अपने परिचित दिव्यांशु को लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट से जोड़ा था। दोनों नांदेड़ में व्यवसायी संजय बियाणी और पंजाब में राणा कंधोवालिया सहित कई की हत्याओं में शामिल थे। विकास सिंह ने राणा कंडोवालिया की हत्या के मामले के बाद रिंकू नाम के एक अन्य आरोपी को भी आश्रय दिया था। इसके अलावा वर्ष 2020 की शुरुआत में चंडीगढ़ में दोहरे हत्याकांड के बाद लॉरेंस बिश्नोई के निर्देश पर मोनू डागर, प्रधान निवासी बहादुरगढ़, चीमा निवासी चंडीगढ़, राजन निवासी कुरुक्षेत्र आदि विकास सिंह के साथ लखनऊ में थे। जांच में यह भी पता चला है कि लारेंस विश्नोई गिरोह के चार बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उसमें से दो बदमाशों को विकास ने अयोध्या में शरण दी थी। यह बदमाश मोहाली में खुफिया मुख्यालय पर आरपीजी हमले को अंजाम दिया था। इसके अलावा विकास ने लॉरेंस के कई बदमाशों को अयोध्या में शरण दी थी।

थाना महाराजगंज का हिस्ट्रीशीटर है विकास

वर्ष 1995 में साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन महामंत्री रामगोपाल मिश्र अन्ना की हत्या से चर्चा में आए विकास सिंह का लंबा आपराधिक इतिहास है। वह थाना महाराजगंज का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ कोतवाली नगर, कोतवाली अयोध्या, थाना राम जन्मभूमि व थाना महाराजगंज में 12 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। कोतवाली नगर पुलिस ने वर्ष 2006 में उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी। उससे पहले वर्ष 2002 में थाना महाराजगंज पुलिस ने गुंडा एक्ट की भी कार्रवाई की थी। संवाद

अंडरवर्ल्ड में है विकास का रुतबा

छात्रसंघ महामंत्री की हत्या के बाद जेल में बंद विकास की दोस्ती कुछ बड़े बदमाशों से हुई थी। जमानत पर बाहर निकलने के बाद वह पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के संपर्क में आ गया। उसके साथ मिलकर उसने पूर्वांचल में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। इसके बाद उसका अंडरवर्ल्ड में रुतबा बढ़ गया। इस दौरान उसके ऊपर अपहरण, लूट, हत्या जैसे संगीन मामलों में आरोप जरूर लगे लेकिन तब तक उसका रुतबा इतना बढ़ गया था कि कोई उसके खिलाफ केस दर्ज कराने की हिम्मत नहीं रखता था।

मूसावाला हत्याकांड के आरोपी आए थे अयोध्या

अपराध जगत में पैठ बनाने के बाद विकास ने राजनीति में भी पैर जमाने शुरू कर दिए। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उसने सपा नेता बाहुबली अभय सिंह का साथ दिया था। इस चुनाव में अभय विधायक भी बने थे लेकिन कुछ ही दिनों बाद विवाद के चलते उसकी अभय सिंह से दूरियां बढ़ गई।

वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव से पहले वह अभय सिंह के विरोधी बाहुबली इंद्र प्रताप तिवारी खब्बू के साथ जुड़ गया। इस चुनाव में खब्बू भाजपा से विधायक बने। इसमें विकास की भूमिका अहम मानी गई। 2017 से 2022 तक उसने राजनीति में भी दखलअंदाजी शुरू की। 2022 में उसने भाजपा के समर्थन से पूरा ब्लॉक से प्रमुख का चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की लेकिन उसे टिकट नहीं मिला। फिर भी चुनाव लड़ा और भाजपा से हार गया। इस दौरान तत्कालीन भाजपा विधायक खब्बू तिवारी को एक मामले में पांच साल की सजा हो गई और वह जेल चले गए। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खब्बू की पत्नी को टिकट दिया। जेल में बंद खब्बू ने भी विकास पर भरोसा जताया और उसे चुनाव की कमान सौंपी। इस चुनाव में सपा से चुनाव लड़ रहे अभय सिंह से विकास की खूब तनातनी हुई और कई बार बवाल भी हुआ।

सूत्र बताते हैं कि इसी चुनाव में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के दो बदमाश कपिल पंडित व सतीश बिश्नोई उसके साथ दिखे। इसका खुलासा तब हुआ जब मूसावाला हत्याकांड में कपिल पंडित पकड़ा गया। इस दौरान एनआईए की टीम को यह पता चला कि यह दोनों बदमाश अयोध्या के कुछ माफिया के साथ मिलकर एक बड़े नेता की हत्या करने के प्रयास में थे। इसके लिए स्नाइपर राइफल का भी इंतजाम किया गया था। यह राइफल बिश्नोई गिरोह के शातिर किशोर अपराधी जो थाना पूरा कलंदर के एक गांव में रहता था, उसके पास से बरामद की गई। इसके बाद से विकास अंडरवर्ल्ड में और मजबूत हो गया था। संवाद

एनआईए की अयोध्या पर लगी थी निगाहें

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के शूटरों के अयोध्या में शरण लेने के पुख्ता सबूत के बाद से एनआईए की निगाह अयोध्या पर गड़ी हुई थी। उसकी टीम यहां तीन बार आकर कार्रवाई भी कर चुकी है। 17 मई को विकास के लखनऊ स्थित एक फ्लैट पर छापेमारी व उसी दिन अयोध्या आकर विकास के देवगढ़ स्थित आवास पर पूछताछ के बाद ही यह तय हो गया था कि एनआईए कभी भी विकास को गिरफ्तार कर सकती है।



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