यूपी विधानसभा (फाइल फोटो)
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विधानसभा में बुधवार को प्रदेश में सूखा और बाढ पर चर्चा शुरू हुई। इसमें भाग लेते हुए सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा फिलहाल प्रदेश में कहीं पर सूखे जैसी स्थिति नहीं हैं। बाढ़ से प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव के बेहतर इंतजाम किए गए हैं। सरकार इन स्थितियों पर निरंतर नजर रखे हुए हैं। वहीं, विपक्षी सदस्यों ने सरकारी इंतजाम को नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि किसानों के अधिकांश फसल बर्बाद हो गए हैं। नहरे और जलाशय सूखें हैं। सरकारी नलकूप बिगड़े पड़े हैं। भरपूर बिजली न मिलने से निजी नलकूप भी पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं। स्थिति यह है कि पश्चिमी यूपी में किसान जहां बाढ़ से परेशान हैं, वहीं पूर्वी यूपी में सूखा की मार झेल रहे हैं।
बसपा के उमाशंकर सिंह, कांग्रेस की अराधना मिश्रा मोना और सपा के लालजी वर्मा की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आज दो घंटे का समय निर्धारित किया था। चर्चा की शुरूआत करते हुए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि ये सच है कि इस साल मानसून विलंब से आया है और पहाड़ पर अत्यधिक बारिश होने की वजह से नदियों का जल स्तर अधिक बढ़ा है। इन स्थितियों की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने बेहतर प्रबंध किए थे। इसका ही नतीजा है कि प्रदेश में 98.75 प्रतिशत धन की रोपाई हो चुकी है। कृषि मंत्री ने बताया कि 93 लाख 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल कृषि भूमि में फसलें लगाई जा चुकी है। इस समय सिर्फ 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलें लगनी बाकी रह गई है। इसलिए प्रदेश में सूखा जैसी स्थिति नहीं है । विलंब होने के बाद भी प्रदेश में सामान्य से 150 मिलीमीटर अधिक बरसात हुई है।
किसानों की मदद कर रही है सरकार
कृषि मंत्री किसानों के लिए शुरू की गई विभिन्न योजनाओं की चर्चा करते हुए बताया कि इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को बीज, बिजली, पानी, बोरिंग की सुविधा समेत कई तरह से मदद की जा रही है। उन्होंने कहा कि बीते छह वर्षों में वर्षा जल संरक्षण के लिए की शुरू की गई योजनाओं की वजह से बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र में भी पानी की उपलब्धता हो गई है। खरीफ फसलों की बुआई को देखते हुए सरकार ने इस बार 243 लाख कुंतल खरीफ फसल खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख, राजीव गुंबर, राजेश चौधरी, सुशील कुमार शाक्य ने भी कहा कि सरकार किसानों को हर तरह से मदद पहुंचा रही है।
वहीं,विपक्ष की ओर से शिवापल सिंह यादव ने कहा कि वह खुद पूर्वांचल और बुंदेलखंड के दर्जनों जिलों में गए हैं। वहां पर किसान सूखे से परेशान हैं। भरपूर बिजली न मिलने की वजह से नलकूप नहीं चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वहीं नदियों के तटवर्ती इलाकों में किसान बाढ़ की चपेट में हैं, उन्हे समय से राहत नहीं मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि खुद से बिजली खींचकर सिंचाई करने वाले किसानों पर बिजली विभाग द्वारा एफआईआर कर दिया जा रहा है। उन्होंने सरकार से किसानों पर दर्ज एफआईआर और जुर्माना खत्म करने की भी मांग की।
मजदूरी ही करनी थी तो मंत्री क्यों बने
सदन में बाढ़ व सूखा पर चर्चा के दौरान विभागीय मंत्री स्वतंत्र देव की गैरमौजूदगी पर विपक्ष ने खूब तंज कसा। जमानिया के विधायक ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि बाढ़ मंत्री अक्सर नहरों में फरसा लेकर फोटो खिंचवाते तो दिखते हैं,लेकिन बाढ़ जैसे गंभीर मुद्दे पर वह सदन से गायब हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ चौकियों के नाम लूट मची हुई है और मंत्री सूखी नहरों में फोटो खिंचा रहे हैं।
नहरों में पानी का मुद्दा उठा
लालजी वर्मा ने अपने जिले अंबेडकर नगर की माइनरों का हवाला देते हुए कहा कि मुख्य नहरों में ही पानी नहीं हैं। इस वजह से अधिकांश माइनरों में पानी नहीं पहुंच रहा है। उन्होंने वर्ष 2019 में नलकूप लगाने के लिए धनराशि जमा करने के बाद भी बिजली कनेक्शन न दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि अब उन किसानों को पैसा वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। वर्मा ने सरकार ने मांग की है कि 2019 में जमा पैसा वापस न करते हुए किसानों को कनेक्शन दिया जाए। ओमप्रकाश सिंह ने गाजीपुर जिले में सूखे की स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले में 11 लिफ्ट कैनाल हैं, लेकिन एक भी पूरी क्षमता से नहीं चल रहे हैं। चर्चा में सपा की ओर से माता प्रसाद पांडेय, प्रभु नारायण यादव, इंद्रजीत सरोज ने भी भाग लिया।