इंडिया गठबंधन की बैठक में विपक्ष के नेता।
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भाजपा के खिलाफ विपक्ष के इंडिया गठबंधन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने झटका दिया है। पार्टी ने तय किया है कि पश्चिम बंगाल और केरल में वह विपक्षी गठबंधन से अलग ही चुनाव मैदान में उतरेगी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि 16 और 17 सितंबर को हुई पार्टी पोलित ब्यूरो की बैठक में इस पर अंतिम फैसला हो गया है। हालांकि पार्टी ने आधिकारिक घोषणा नहीं की। माकपा के इस फैसले से इंडिया गठबंधन की दरारें एक बार फिर सामने आ गई हैं।
सूत्रों ने बताया कि बंगाल में पार्टी तृणमूल के साथ कांग्रेस से भी दूरी बनाएगी। राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव में माकपा ने कांग्रेस से गठजोड़ किया था और उसे फायदे के बदले नुकसान हुआ था। पोलित ब्यूरो की बैठक में भी पार्टी के केरल धड़े ने इस फैसले को लेकर सवाल उठाए। वहीं, केरल में माकपा और कांग्रेस पहले से ही दो विपरीत गठबंधनों की मुख्य धुरी है। ऐसे में दोनों का साथ आना नामुमकिन है।
मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में भी दरार
विपक्षी गठबंधन में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी दरार देखने को मिली, जब आम आदमी पार्टी कांग्रेस को दरकिनार कर उम्मीदवारों के नाम घोषित करना शुरू कर चुकी है। बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे पर भी आखिरी समझौता मुश्किल दिख रहा है, क्योंकि 40 सीटों में राजद, जदयू, वामदल, कांग्रेस सभी ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी चाह रहे हैं।
एकजुटता का दावा
माकपा सूत्रों ने दावा किया कि दो राज्यों में अलग चुनाव लड़ने का फायदा इंडिया गठबंधन को ही होगा। इसके कारण इन राज्यों में विपक्षी वोटों का बंटवारा नहीं होगा। पार्टी नेताओं ने पोलित ब्यूरो की बैठक के बाद बयान दिया कि माकपा इंडिया गठबंधन के साथ एकजुट है और इसकी मजबूती के लिए काम करेगी।
राष्ट्रीय स्तर की भूमिका पहले ही
माकपा नेता सीताराम येचुरी पहले ही कह चुके हैं कि इंडिया गठबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी मोर्चे के रूप में नहीं देखा जा सकता। इसकी पार्टियों के बीच सिर्फ राज्यों के स्तर पर सीटों का तालमेल हो सकता है।