हादसे के मौके पर चीख पुकार मच गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला। एंबुलेंस को फोन किया गया लेकिन गली में भीड़ होने की वजह से वह नहीं पहुंच सकी। इसलिए घायलों को ई-रिक्शा से अस्पताल पहुंचाया गया। साथ ही शवों को भी ई-रिक्शा से से ले जाया गया। जिस व्यक्ति का मकान गिरा उसका नाम विष्णु बाग वाला है। बताया जा रहा कि जो हिस्सा गिरा है वह जर्जर हालत में था। वह बंद ही रहता था।
मथुरा वृंदावन नगर निगम अंतर्गत करीब 200 से अधिक ऐसी बिल्डिंग हैं, जो जर्जर अवस्था में हैं। इनमे अधिकाश बिल्डिंग 150 से 200 साल पुरानी हैं। यह बिल्डिंग भूकंप की दृष्टि से तो किसी दशा में सुरक्षित नहीं हैं। इस में प्राचीन मंदिर भी शामिल हैं।
इन बिल्डिंग से होने वाले हादसों को लेकर अधिकारी लापरवाह रहते हैं। किसी हादसे के बाद ही उन्हें इनकी याद आती है। कार्रवाई महज नगर निगम से नोटिस तक सीमित हो कर रह जाती है। मथुरा वृंदावन की इन जर्जर बिल्डिंग के हिस्से आए दिन गिर जाते हैं।
इसमें मथुरा की पुरानी जर्जर ये बिल्डिंग टीले नुमा आबादी के बीच स्थित हैं। यहां हादसा होने की दशा में मदद के लिए न एंबुलेस पहुंच सकेगी न कोई और चुपाहिया वाहन। वृंदावन में भी ऐसी अनेक बिल्डिंग सकरी गलियों में मौजूद हैं। मंगलबार को हुए इस हादसे से जुड़ा दुसायत मोहल्ला भी बेहद सकरी गली के रूप में है, जो बिहारी जी मंदिर को जोड़ता है।