शहीद मेजर आशीष धौंचक: मां बोलीं मैंने शेर बेटे को जन्म दिया, मैं रोऊं कौन्या, मैं सैल्यूट करूंगी…

शहीद मेजर आशीष धौंचक: मां बोलीं मैंने शेर बेटे को जन्म दिया, मैं रोऊं कौन्या, मैं सैल्यूट करूंगी…


मैंने एक शेर बेटे को जन्म दिया है। मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। मैं राेऊं कौन्या, मैं अपने बेटे को सैल्यूट करूंगी। बेटे का स्वागत करूंगी। बेटे को अपनी झोली में लूंगी। हमको रोता हुआ छोड़कर चला गया। शहीद मेजर आशीष की मां कमला देवी के करुण रुदन के साथ ये शब्द वहां मौजूद लोगों की आंखें नम कर दे रहे थे।

सेक्टर-7 स्थित शहीद मेजर आशीष धौंचक के घर में मां का यह दर्द दिन में कई बार गूंजा। महिलाएं उन्हें ढांढस बंधाती, लेकिन रह-रहकर बेटे की याद मन में हूक बनकर उठती और वह बिलख पड़तीं। यही हाल आशीष की पत्नी ज्योति का था। शहीद की तीनों बहनों का तो मानों संसार ही उजड़ गया।



पिता लालचंद अपने भतीजे मेजर विकास के आते ही गले लगकर रोने लगे। मेजर विकास भी खुद को नहीं रोक पाए। पिता लालचंद बोले, मेरा बेटा देश के नाम शहीद हो गया। हम ही क्या, पूरा देश उनकी कुर्बानी को नहीं भूलेगा। वे इतना कहकर शांत हो जाते। कभी अंदर जाते तो कभी बाहर आते। मानो चाहकर भी अपने आंसू नहीं बहा पा रहे हों। खुद को रोकते हुए मन ही मन अपनी पीड़ा जाहिर करते रहे।


मैं कितना शरीफ, यह बात तो आतंकवादी बताएंगे

दोस्तों और परिवार के सदस्यों ने बताया कि मेजर आशीष शुरू से ही शरीफ थे। शराफत उनके चेहरे पर साफ झलकती थी। परिजनों ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद उन्हें राजौरी सेक्टर में पोस्टिंग मिली तो उनके दोस्त कहते थे कि तू इतना शरीफ है। वहां आतंकवादी क्षेत्र में क्या करेगा? किसी दूसरी जगह तबादला करा ले। इस पर आशीष एक ही बात कहते थे कि मैं कितना शरीफ हूं, ये बात तो आतंकवादी ही बताएंगे। हुआ भी ऐसे ही। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान मेजर आशीष ने कर्नल मनप्रीत का पूरा साथ दिया। वे आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। आशीष के जीजा सुरेश दूहन ने बताया कि आशीष से कुछ दिन पहले बात हुई थी। वह काफी खुश नजर आ रहे थे। उन्होंने बताया कि था कि चार-पांच दुश्मनों को निपटा दिया है। बाकियों को भी निपटाकर घर आऊंगा।


जीते जी तो सपनों के घर में नहीं आ सके, अब पार्थिव शरीर आएगा

 मेजर आशीष ने मेहनत से अपने सपने का आशियाना बनाया था। परिजनों के साथ 23 अक्तूबर को नए मकान में शिफ्ट होकर जन्मदिन मनाने की तैयारी थी, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। सपनों का आशियाना तो उन्होंने बना लिया, लेकिन उसमें शिफ्ट होने से पहले ही देश के लिए शहीद हो गए। गुरुवार को उनकी शहादत की खबर घर पहुंची तो परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। इस दौरान मां कमला और परिजनों का कहना था कि जीते जी तो बेटा सपनों के घर में नहीं आ सका, अब उसका पार्थिव शरीर वहीं आएगा।

 


आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा बृहस्पतिवार को शहीद मेजर आशीष धौंचक के घर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि परिवार के असीम दुख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह उनके इकलौते पुत्र थे। लेकिन, जिस तरीके से आतंकियों से मुकाबला करते हुए वह शहीद हुए, वह हरियाणा के लिए गौरव का विषय है। इस वक्त पूरे देश को परिवार का सहारा बनने की जरूरत है और इस दुख की घड़ी में आम आदमी पार्टी परिवार के साथ है।




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