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शुआट्स में 5.56 करोड़ के गबन के मामले में विवेचना के दौरान पुलिस को अहम बातें पता चलीं। सरकारी अनुदान का मनमर्जी भुगतान किया गया। यहां तक कि यात्रा के मद में ही 10 लाख रुपये का अनियमित भुगतान कर दिया। स्पेशल ऑडिट में लगाए गए गड़बड़ी के आरोप सही मिलने पर ही वीसी समेत 10 के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई।
निदेशक, स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग उप्र की ओर से कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के आदेश पर किए स्पेशल ऑडिट में व्यापक तौर पर गड़बड़ियां पाई गईं थीं। इस दौरान विभिन्न मदों में सरकारी अनुदान के 5.56 करोड़ रुपये के गबन व अनियमित भुगतान का मामला सामने आया था। एक गड़बड़ी यात्रा व्यय मद में किए गए भुगतान से भी संबंधित था।
यह तथ्य प्रकाश में आया कि 2010-11 से 2017-18 तक स्थानीय व वाह्य यात्राओं के लिए निजी वाहन उपलब्ध कराने वाली फर्म को 10.04 लाख रुपये का भुगतान सरकारी अनुदान से किया गया जिसमें घोर अनियमितताएं पाईं गईं। पहले तो जिस फर्म को भुगतान किया गया, उसकी वैद्यानिकता की पुष्टि परिवहन या आयकर विभाग से नहीं कराई गई। फर्म से अनुबंध भी नहीं किया गया था जबकि शासनादेश के मुताबिक यह अनिवार्य है।