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केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भ्रष्ट कर्मचारियों-अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगने वाले सीबीआई के 500 से अधिक अनुरोध विभिन्न सरकारी विभागों में लंबित थे। सीवीसी की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 272 अनुरोध तीन महीने से अधिक समय से लंबित थे।
सरकारी विभागों को किसी भ्रष्ट अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगने वाले अनुरोधों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होता है। ऐसे मामलों में जिन पर अटॉर्नी जनरल या उनके कार्यालय में किसी अन्य कानून अधिकारी के साथ परामर्श की आवश्यकता होती है, एक महीने का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। सीवीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने बताया था कि 2022 के अंत में पीसी अधिनियम, 1988 के तहत अभियोजन की मंजूरी के लिए विभिन्न संगठनों से संबंधित कुल 198 मामले लंबित थे।
कुछ मामलों में एक से अधिक आरोपी
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र/राज्य सरकार और अन्य विभागों व प्राधिकरणों के पास लंबित इन मामलों में वर्ष 2022 के दौरान अभियोजन मंजूरी के लिए 525 अलग-अलग अनुरोध किए गए हैं, क्योंकि कुछ मामलों में एक से अधिक आरोपी शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 525 लंबित अनुरोधों में से सबसे अधिक 167 वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग के पास, 41 महाराष्ट्र सरकार के पास और 31-31 अनुरोध वित्त मंत्रालय, कोयला एवं खनन मंत्रालय, अन्य के तहत राजस्व विभाग के पास थे।
इन मंत्रालयों के पास इतने आवेदन लंबित
31 दिसंबर तक हिमाचल प्रदेश सरकार के पास 25, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों के पास 23-23 और रेल मंत्रालय के पास 22 अनुरोध मुकदमे की मंजूरी के लिए लंबित थे। साथ ही 20 अनुरोध श्रम और रोजगार मंत्रालय के पास, 16 रक्षा मंत्रालय के पास, 12 कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पास, 11 गृह मंत्रालय के पास और आठ शिक्षा मंत्रालय के पास लंबित थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के पास छह-छह अनुरोध और तमिलनाडु सरकार और लोकसभा में पांच-पांच अनुरोध लंबित थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीवीसी विभिन्न संगठनों के पास अभियोजन की मंजूरी के लिए लंबित मामलों की प्रगति की समीक्षा करता है।