स्वास्थ्य समाधान: शिक्षकों व बच्चों के बीच संवाद खत्म करेगा मानसिक तनाव, स्कूलों में चाइल्ड काउंसलर तैनात हों

स्वास्थ्य समाधान: शिक्षकों व बच्चों के बीच संवाद खत्म करेगा मानसिक तनाव, स्कूलों में चाइल्ड काउंसलर तैनात हों




पीएमएस स्कूल में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


समाज में 14 से 20 प्रतिशत बच्चे अवसाद से जूझ रहे हैं। इसका कारण क्षमताएं जाने बिना लक्ष्य का निर्धारण, अभिभावकों का स्टेटस सिंबल और कई विषयों पर जानकारी का अभाव है। रोजमर्रा के जीवन में उन पर थोपे पर लक्ष्य पूरे न होने से बच्चे तनाव लेने लगते हैं। यह मुश्किल तब दोगुनी हो जाती है, जब माता-पिता और शिक्षक उनकी बात को नहीं समझते।

अपनी अपेक्षाएं पूरी न होने पर उन्हें सजा देते हैं। इससे बच्चे अभिभावकों और शिक्षकों से बात करने से डरने लगते हैं। एक दिन ये छोटी छोटी परेशानियां घुटन का कारण बनती हैं और उन्हें आत्महत्या की तरफ बढ़ने को मजबूर कर देती हैं। जरूरत है कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों से लगातार संवाद करें। गलत आदतों, गलत निर्णयों पर उन्हें डांटें लेकिन इस नाराजगी को जीवन का हिस्सा न बनने दें।

आपके द्वारा किया गया संवाद ही बच्चों को तनाव से मुक्ति दिलाएगा। यह सलाह मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. दिशांतर गोयल ने मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला में अभिभावकों व शिक्षकों को दी। कैसे बनाएं मेंटल हेल्थ फ्रेंडली स्कूल विषय पर वह केस स्टडी के साथ अपना व्याख्यान दे रहे थे।

कार्यशाला का आयोजन रोटरी क्लब मुरादाबाद मिडटाउन व अमर उजाला फाउंडेशन के समन्वय से सिविल लाइंस स्थित पीएमएस स्कूल में हुआ। डॉ. दिशांतर ने कहा कि विद्यालयों में चाइल्ड काउंसलर रखे जाएं। बच्चा बेझिझक जिनसे अपनी परेशानी साझा कर सके और समाधान पा सके। डॉक्टर ने शिक्षकों के सवालों के जवाब भी दिए।

सवाल: कक्षा सात का एक बच्चा छोटी-छोटी बातों पर बहुत गुस्सा हो जाता है। उसके व्यवहार में आक्रमकता है, जोकि दूसरे बच्चों व शिक्षकों को सही नहीं लगती। क्या वह बच्चा मानसिक रोगी हो सकता है।

जवाब : यदि कुछ मौकों पर बच्चे ने असामान्य व्यवहार किया हो तो आप खुद उससे बात करें। उसके बारे में जानें और पूछें कि वह क्यों नाराज हुआ था। इसके विपरीत यदि वह अक्सर शिक्षकों व दूसरे बच्चों के प्रति आक्रामक रवैया अपनाता है तो उसे मानसिक रोग विशेषज्ञ से काउंसलिंग की आवश्यकता है।

सवाल: कक्षा आठ का एक बच्चा जो अब तक पढ़ाई में बहुत अच्छा था। अब धीरे-धीरे उसकी रुचि कम हो रही है। वह खेल की तरफ बढ़ रहा है, कुछ अन्य चीजों में उसकी रुचि जा रही है। क्या बच्चे को काउंसलिंग की जरूरत है।

जवाब : 12-14 वर्ष की उम्र में बच्चे मानसिक रूप से कुछ मजबूत हो जाते हैं। इस उम्र में संगत का ध्यान रखना जरूरी है। उसे उसकी रुचि के अनुसार आगे बढ़ने दें लेकिन पढ़ाई का महत्व भी समझाएं। जिससे जीवन में उसे हानि न हो।

सवाल: कक्षा छह की एक बच्ची बहुत चुपचाप सी रहती है। किसी से ज्यादा बात नहीं करती। किसी बात पर कोई जरा भी डांट दे तो रोने लगती हैा। क्या यह मानसिक परेशानी के लक्षण हैं।

जवाब : यह स्वभाविक भी हो सकता है लेकिन बच्चे को आत्ममुग्धता से बचाना जरूरी है। कक्षा में विभिन्न विषयों पर वाद-विवाद प्रतियोगिता कराएं और उसे बोलने का मौका दें। अभिभावक रिश्तेदारों-दोस्तों के बीच उसे घुमाने ले जाएं।

इनकी रही मौजूदगी

डॉ. स्मिता अग्रवाल, रोटरी क्लब ऑफ मुरादाबाद मिडटाउन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अशोक गुप्ता, पीएमएस के प्रधानाचार्य मैथ्यू पी एलिंचेरिल, क्लब के लेफ्टिनेंट गवर्नर सुरेश अग्रवाल, पीडीजी दीपक बाबू, क्लब के अध्यक्ष रणवीर अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, एम कुमार, विनोद अरोरा, रवि शंकर सिंह, मंजू देवी, नरेश चंद्र गुप्चा, अतुल भटनागर आदि सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।



Source link

Facebook
Twitter
LinkedIn
Pinterest
Pocket
WhatsApp

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *