आले हसन- आजम खां
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी के लिए 17 साल पहले लोगों की जमीन जबरन रजिस्ट्री कराने के मामले में सपा नेता आजम खान के करीबी पूर्व सीओ आले हसन खान की जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह की अदालत ने पूर्व सीओ आले हसन खान की ओर से दाखिल 26 जमानत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया।
मामला वर्ष 2006 का है। जौहर यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए स्थानीय लोगों की जमीन की रजिस्ट्री जबरन मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के नाम से कराई गई थी। लगभग 14 साल बाद सपा नेता आजम खान और पूर्व क्षेत्राधिकारी आले हसन खान के खिलाफ लगभग 54 एफआईआर स्थानीय निवासियों ने दर्ज करवाई थी।
एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन सीओ आले हसन खान ने सपा नेता आजम खान के साथ मिल कर लोगों की जमीन हथियाने के लिए जबरन रजिस्ट्री करवाई थी। इस मामले के मुख्य अभियुक्त सपा नेता आजम खान को हाईकोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है। आले हसन खान के वकील इमरान उल्ला ने दलील दी कि कोई भी रजिस्ट्री उनके पक्ष में नहीं की गई है और न ही विवादित जमीन पर उनका कब्जा है। इस मामले में उन्हें फंसाया गया है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट ने पूर्व सीओ की 26 जमानत याचिकाओं पर एक साथ फैसला सुनाते हुए उनकी जमानत मंजूर कर ली। आले हसन को रामपुर की निचली अदालत से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद मई 2023 के यूपी पुलिस ने उनके दिल्ली स्थित आवास से उन्हें गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश किया था।