इलाहाबाद हाईकोर्ट
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि विवेचना अधिकारी को धारा 164 के तहत अदालत में पीड़िता का एक से अधिक बार बयान दर्ज कराने का अधिकार है। हालांकि, बिना ठोस कारण के बार-बार बयान दर्ज नहीं कराया जा सकता। ऐसा करने से बयान की सत्यता नष्ट होगी। कोर्ट ने दो बार बयान दर्ज होने के बाद पीड़िता द्वारा सही बयान दर्ज न किए जाने का आरोप लगाते हुए तीसरी बार बयान दर्ज कराने की अर्जी खारिज करने को सही करार दिया। कोर्ट ने कहा पीड़िता कानून को जानबूझकर बिना किसी वजह के औजार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
कोर्ट ने सीजेएम आगरा के अर्जी खारिज करने के आदेश की वैधता की चुनौती याचिका बीस हजार रुपये हर्जाना लगाते हुए खारिज कर दी और याची को तीन हफ्ते में सरकार के पक्ष में डिमांड ड्राफ्ट के जरिये हर्जाना जमा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि हर्जाना जमा न करने पर जिलाधिकारी राजस्व वसूली प्रक्रिया अपनाकर हर्जाना वसूलें और सरकार को दें।