हाथरस कांड
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हाथरस में चंदपा क्षेत्र के एक गांव की युवती के साथ हुई दरिंदगी की घटना को तीन साल पूरे हो गए। वर्ष 2020 में हुई यह घटना देश भर में सुर्खियों में रही। इस घटना में अदालत का फैसला भी आ चुका है, जिसमें चार में से तीन आरोपी बरी हो चुके हैं और एक अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है, लेकिन बिटिया के भाई का कहना है कि उन्हें अभी तक पूर्ण न्याय नहीं मिला है और न हीं सरकार ने अभी तक अपने वादे पूरे किए हैं। बिटिया के भाई ने दोहराया कि वह अपनी बहन की अस्थियों का विसर्जन तब तक नहीं करेगा, जब तक उन्हें पूर्ण न्याय नहीं मिल जाता।
दरिंदगी का शिकार हुई थी बिटिया
कोतवाली चंदपा क्षेत्र के गांव में 13 सितंबर 2020 में बिटिया के साथ दरिंदगी की घटना हुई थी। 15 दिन तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ने के बाद 29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान बिटिया की मौत हो गई। रात्रि में हुए बिटिया के अंतिम संस्कार को लेकर भी काफी बवाल हुआ था। प्रशासन पर रात में ही जबरन अंतिम संस्कार कराने का आरोप लगा था। तीन साल बाद भी बिटिया के परिवार के लोग इस घटना के दर्द को नहीं भूले हैं।
इस घटना की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था, जिसके बाद स्थानीय अदालत अपना फैसला सुना चुकी है। बिटिया के भाई ने बताया कि जो जख्म उन्हें तीन साल पहले मिला था, उसे भूलना आसान नहीं है। घटना के बाद सरकार ने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, आवास और आर्थिक मदद देने का लिखित में वादा किया था। उन्हें सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा होने का अभी भी इंतजार है।
उनका कहना कि उनके परिवार के सभी सदस्य सीआरपीएफ की सुरक्षा में पिछले लगभग पौने तीन साल से रह रहे हैं। इस कारण उनके परिवार के कामकाजी लोग न तो कोई नौकरी कर पा रहे हैं और न हीं अन्य कोई रोजगार उनके पास है। इस कारण परिवार के लोगों का जीवन यापन मुश्किल से हो रहा है।
परिवार ने सरकार से दिल्ली, गाजियाबाद या नोएडा में आवास के लिए मांग की है, क्योंकि जिले में पीड़ित परिवार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। पीड़ित परिवार ने बताया कि अभी तक उन्होंने बिटिया की अस्थियों का विसर्जन नहीं किया है। पूर्ण न्याय मिलने के बाद ही अस्थियों का विसर्जन कराया जाएगा।