women reservation bill
– फोटो : Amar Ujala
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लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पास हो गया। दिनभर की लंबी चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया। बिल के पक्ष में 215 वोट पड़े, जबकि किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं डाला।
इसी के साथ संसद और विधानसभाओं में महिला सशक्तिकरण की राह में बीते 27 साल से पड़ा सूखा खत्म हो गया और नए संसद भवन ने पहले ही सत्र में नारी शक्ति का वंदन करने का नया इतिहास रच दिया। इससे पहले विधेयक को बुधवार को लोकसभा से मंजूरी मिल गई थी। लोकसभा ने भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत के साथ पास किया था। इसके पक्ष में 454 और विरोध में दो वोट पड़े थे।
करीब आठ घंटे की चर्चा के बाद पास हुआ बिल
सरकार की ओर से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कांग्रेस पर इस विधेयक को जानबूझ कर लटकाने का आरोप लगाया। खरगे ने इसे भाजपा और मोदी सरकार का चुनावी शिगूफा बताया। उन्होंने पूछा कि आखिर इसे विधेयक को आगामी लोकसभा चुनाव में लागू क्यों नहीं किया जा रहा है? करीब आठ घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भाजपा देश की इकलौती पार्टी है जिसने महिला सशक्तिकरण के मामले में अपने रुख में परिवर्तन नहीं किया। इंडिया गठबंधन के अलावा बसपा ने भी विधेयक के संदर्भ में कई सवाल उठाए।
राज्यसभा में एक भी दल ने नहीं किया विरोध
विधेयक को राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पास किया। लोकसभा में बुधवार को एआईएमआईएम को छोड़ कर सभी दलों ने विधेयक का समर्थन किया था। इस दल का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व नहीं है, इस वजह से यह सर्वसम्मति से पास हो गया। हालांकि, बिल को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए जनगणना के बाद परिसीमन का इंतजार करना होगा। फिलहाल उम्मीद जताई जा रही है कि 2029 के लोकसभा चुनाव तक इससे जुड़ा संविधान का 129वां संशोधन अधिनियम लागू हो सकता है।
राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी को दी गई जन्मदिन की बधाई
राज्यसभा में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन की बधाई दी गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण के प्रावधान वाले ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर मतदान के दौरान कहा कि इस विधेयक को पारित करने के समय यह सुखद संयोग है कि आज ही प्रधानमंत्री का जन्मदिन है। भारतीय पंचांग तिथि गणना के अनुसार प्रधानमंत्री का जन्मदिन है। उन्होंने प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई दी। इसके बाद सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर प्रधानमंत्री को उनके जन्मदिन की बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दोनों हाथ जोड़कर सभापति एवं सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। अंग्रेजी तारीख के अनुसार, मोदी का जन्मदिन 17 सितंबर है। पढ़ें पूरी कवरेज
#WATCH | ” It is only a coincidence…as per Hindu calendar, today is Prime Minister Narendra Modi’s birthday”, says Rajya Sabha Chairman and Vice President Jagdeep Dhankhar pic.twitter.com/NLjD26kZiS
— ANI (@ANI) September 21, 2023
क्या है महिला आरक्षण विधेयक?
पिछले दो दशक से अधिक समय से शायद ही कोई संसद सत्र होगा जिसमें महिला आरक्षण की बात न उठी हो। इस बार दोनों सदनों से पास हुआ बिल संविधान संशोधन विधेयक है, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान है। इसी 33 फीसदी में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी है।
देश में महिला आरक्षण का इतिहास क्या है?
- देश की संसद में महिला आरक्षण विधेयक पहली बार तो 1996 में पेश हुआ लेकिन इसकी नींव 1992 में हुए 73वें और 74वें संविधान संशोधन द्वारा रखी जा चुकी थी।
- दरअसल, सत्ता के विकेंद्रीकरण का सपना सच करने के लिए संविधान में 73वां और 74वां संशोधन का फैसला किया गया था।
- 1992 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में दोनों संशोधन पारित हुए। इन्हें एक जून 1993 से राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया। अनुच्छेद 243 (डी) और 243 (टी) को संविधान में शामिल किया गया और देश में पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें सुरक्षित की गईं।
- संविधान के अनुच्छेद 243 D के प्रावधानों के अनुसार, पंचायती राज संस्थाओं की एक तिहाई सीटें और संविधान के भाग IX के अंतर्गत आने वाली पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों पर अध्यक्ष के एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए।
- संविधान के अनुच्छेद 243 T में प्रावधान है कि प्रत्येक नगर पालिका में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरी गई सीटों की कुल संख्या का न्यूनतम एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।