उम्रकैद की सजा होने के बाद जेल ले जाती पुलिस
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अलीगढ़ में इगलास के गांव नगला चूरा में चालीस वर्ष पहले छोटे भाई की हत्या के आरोप से बचने के लिए बड़े भाई ने खूब जतन किए। मगर चार दशक बाद न्यायालय ने आरोपी को उम्र के आखिरी पड़ाव पर दोषी करार देकर उम्रकैद व जुर्माने की सजा से दंडित किया है। सोमवार को यह फैसला एडीजे प्रथम मनोज कुमार अग्रवाल की अदालत ने जब सुनाया। इसके बाद सजायाफ्ता को अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया गया।
अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी जेपी राजपूत के अनुसार घटना तीन जून 1983 की है। वादी नगला चूरा की चंद्रमुखी ने चार जून को थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया कि उनके ससुर रेवती सिंह ने अपनी पुस्तैनी जमीन का दो बेटों उसके पति रघुनाथ सिंह व जेठ जयपाल सिंह के बीच बंटवारा किया। मगर जेठ जयपाल सिंह अपने हिस्से की जमीन को उसके पति रघुनाथ से बदलना चाहता था। रघुनाथ ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए नकार दिया कि बंटवारा एक बार होता है, बार बार नहीं। इसे लेकर जयपाल के मन में कब्जे की नीयत आ गई और कई बार झगड़े हुए। घटना वाली सुबह महिला का पति खेत से लौटकर चक्की पर आटा पिसवाने गया।
वहां से लौटते समय आरोपी जयपाल व उसके साथ गांव का सोहन सिंह आए और खाना खाकर घर के बाहर आए पति को घेरकर लाठी डंडों से पीटना शुरू कर दिया। शोरशराबे पर परिवार के अन्य लोग एकत्रित हुए, जिन्हें देख हमलावर भाग गए। बाद में नाजुक हालत में रघुनाथ को मेडिकल कॉलेज लाया गया। जहां उनकी मौत हो गई। अगले दिन मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने विवेचना के बाद दोनों आरोपियों पर चार्जशीट दायर की। न्यायालय में सत्र परीक्षण के दौरान सोहन की मौत हो गई। वहीं अब जयपाल को केश डायरी, साक्ष्यों व गवाही के आधार पर अदालत ने दोषी करार देकर सोमवार को उम्रकैद व बीस हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है।