मुरादाबाद दंगे (प्रतीकात्मक)
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मुरादाबाद में दंगा भड़काने के लिए नफरत की साजिश रची गई थी। जिसकी चपेट में पूरा शहर आ गया था। शहर के 13 स्थानों पर सबसे ज्यादा आगजनी, लूटपाट और जनहानि हुई थी। इन स्थानों पर 13 अगस्त के बाद भी घटनाएं होती रही थीं। जिसमें महिलाएं और बच्चे भी लापता हो गए थे।
जांच रिपोर्ट में दावा किया है कि ईदगाह पर नमाज के बाद जानवर घुसने की अफवाह फैलाई गई थी। जिसके बाद शहर में दंगा भड़क गया था। इसके बाद भी मुस्लिम लीग के नेता डॉ. शमीम और उसके समर्थकों ने ये अफवाह भी फैलाई थी कि पुलिस कर्मी मुस्लिमों पर सीधे गोली चला रहे है।
जिसमें तमाम लोगों की मौत हो गई है। इससे शहर के दूसरे हिस्सों में भी दंगा भड़क गया था। लोग अपने घरों से निकले और थानों पर इकट्ठा हो गए थे। इसके बाद उन्होंने थाने, चौकी फूंक दिए थे। सरकारी वाहन और पुलिस वाहनों को निशाना बनाया गया था।
दंगे में सबसे ज्यादा आगजनी, लूटपाट और जनहानि ईदगाह, वरफखाना, पुलिस चौकी गलशहीद, चौराहा फैजगंज, चौराहा, तहसील स्कूल, चौराहा नागफनी, किसरौल, कोतवाली, गंज बाजार, दौलत बाग, कंबल का ताजिया में हुई थी। इस क्षेत्र में 13 अगस्त 1980 के बाद भी घटनाएं होती रहीं थीं। पुलिस कर्मियों पर भी हमले हुए थे।
भगदड़ हुई थीं सबसे ज्यादा मौतें
13 अगस्त 1980 में ईदगाह पर करीब 70 हजार नमाजी मौजूद थे। नमाज के बाद जानवर घुसने की अफवाह से लोग आक्रोशित हो गए थे। इसके बाद पुलिस कर्मियों को ही निशाना बनाने लगे थे। लोग अपनी जान बचाकर भागने लगे। जिससे मौके पर भगदड़ मच गई थी। भगदड़ में बुजुर्ग और बच्चे सड़क पर गिर गए थे। दंगे में मारे गए 83 लोगों में सबसे ज्यादा भगदड़ में लोगों ने जान गंवाई थी।
दंगे के मुकदमे की समीक्षा करेगा अभियोजन विभाग
मुरादाबाद में हुए दंगे में दर्ज किए गए मुकदमों की समीक्षा अभियोजन विभाग करेगा। इसके लिए थाने और कोर्ट से इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। मुगलपुरा, कटघर, कोतवाली में 108 केस दर्ज किए गए थे। दोनों पक्षों की सहमति पर कई केसों में एफआर लगा दी गई थी।
अभियोजन विभाग कोर्ट और थानों से जानकारी जुटाएगा। इसके बाद लंबित मामलों में पैरवी कर पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा। 13 अगस्त 1980 को मुरादाबाद में हुए दंगे के बाद 108 केस दर्ज किए गए थे। इनमें होमगार्ड, पुलिस और पीएसी की ओर से 14 केस दर्ज कराए गए थे।
हिंदू पक्ष की ओर से 62 और मुस्लिम पक्ष ने 32 केस दर्ज कराए गए थे। इसमें से 32 मामलों में आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किए गए थे। जबकि 76 मामलों में साक्ष्य और गवाह नहीं होने पर फाइनल रिपोर्ट लगाई थी। मुगलपुरा थाने में 1995 से बाद का रिकॉर्ड है।
नागफनी में 2001 और कोतवाली में 1990 के बाद का रिकॉर्ड मौजूद है। जबकि शहर में 13 अगस्त 1980 हुआ था। जिस थानों में केस दर्ज किए गए थे। उन दोनों में रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। अभियोजन विभाग सभी केसों की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी करेगा। जो केस कोर्ट में लंबित हैं। उनकी पैरवी कर पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा।