पीएम ने अपने भाषण में कहा कि ये लोग आज ऐसी बातें कर रहे हैं, लेकिन पिछले कर्मों का क्या? नेहरू जी ने अपने समय में असमवासियों को मरने के लिए छोड़ दिया। ये लोग आज हमसे सवाल पूछ रहे हैं? दरअसल, पीएम मोदी भारत-चीन युद्ध के दौरान असम के एक गांव में हुई अफरातफरी को संदर्भित कर रहे थे।
भारत-चीन युद्ध के बीच ऑल इंडिया रेडियो पर पंडित नेहरू के एक भाषण के बाद असम के तेजपुर में कई लोगों को लगा कि उन्हें ब्रह्मपुत्र घाटी की कोई चिंता नहीं है। हालांकि, कुछ दिग्गज कांग्रेसियों का मानना है कि असम के लोगों ने नेहरू को गलत समझा।
20 नवंबर, 1962 को आकाशवाणी पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में नेहरू ने कहा था, ‘विशाल चीनी सेनाएं नेफा के उत्तरी भाग में मार्च कर रही हैं। बालीग से ला में हमें पराजय का सामना करना पड़ा और आज नेफा का एक छोटा सा शहर बोमडिला भी हार गया। जब तक आक्रमणकारी भारत से बाहर नहीं चला जाता या खदेड़ नहीं दिया जाता तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे।’
71 वर्षीय तेजपुर निवासी प्रणब सिन्हा कहते हैं, ‘नेहरू का भाषण प्रसारित होने के बाद तेजपुर में लोग उन्मादी हो गये। ये भागने लगे। हर जगह अराजकता थी। तेजपुर के बेकारगांव के निवासी 77 वर्षीय अतुल सैकिया दावा करते हैं, ‘असम को लगभग चीन को सौंप दिया गया था जब जवाहरलाल नेहरू ने बोमडिला पर कब्जे के बाद अपने भाषण में घोषणा की थी कि मेरा दिल असम के लोगों के साथ है।’
असम से आने वाले कांग्रेस नेता बेदब्रत बरुआ कहते हैं, ‘जब नेहरू बोमडिला पर कब्जे के बारे में बोल रहे थे तो लगभग रो रहे थे। मुझे याद है कि नेहरू ने लगभग रुंधे स्वर में कहा था, मेरा दिल असम के लोगों के लिए दुखता है। लेकिन मुझे पूरा विश्वास था कि चीनी असम में प्रवेश नहीं करेंगे।’