सतीश महाना
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विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि विगत डेढ़ वर्ष में यूपी विधानसभा में अनेक सकारात्मक बदलाव हुए हैं। डिजिटिलीकरण को अधिकाधिक अपनाया जा रहा है। इन उपलब्धियों को आगामी 21 व 22 अगस्त को उदयपुर में होने वाले राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में भी प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विधायकों की उठाई समस्याओं को संबंधित विभागों को भी भेजा जाता है, जिससे सत्रों में उनकी भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सतीश महाना शनिवार को विधानभवन के टंडन हॉल में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले विधानसभा में उठाए गए सवाल सिर्फ रिकॉर्ड का हिस्सा बनकर रह जाते थे, लेकिन अब उन सवालों को संबंधित विभागों को भी भेजा जाता है। उस पर कार्यवाही होती है। इसी का नतीजा है कि सत्रों में विधायकों की उपस्थिति और भागीदारी बढ़ी है। 1958 के बाद पहली बार 18वीं विधानसभा के पांचवें सत्र में नई नियमावली लागू की गई है। सवालों के जवाब देने की समयावधि भी घटाई गई है।
महाना ने कहा कि आज यूपी की विधानसभा देश में सबसे खूबसूरत विधानसभाओं में से एक मानी जाती है। उन्होंने कहा पिछले सत्र में डिजिटल गैलरी बनवाई गई थी। इस बार डिजिटल कॉरिडोर, पटल कार्यालय और भाजपा विधानमंडल कार्यालय में परिवर्तन किया गया। अब सपा समेत अन्य पार्टियों के विधानमंडल कार्यालयों में बदलाव किया जाएगा। नई विधानसभा में कुछ और बदलाव जल्द देखने को मिलेंगे। जल्द ही टंडन हॉल भी नए स्वरूप में दिखेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा के मानसून सत्र में 2666 अतारांकित सवाल लगाए गए, जिनमें से 988 का उत्तर दे दिया गया है। बाकी जो बचे हैं, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा, बल्कि उनके भी जवाब 15 दिन के अंदर सभी सदस्यों को पहुंच जाएंगे।
उन्होंने कहा कि विधानसभा में अलग-अलग समूहों में विधायकों के साथ फोटो सेशन के भी अच्छे परिणाम आ रहे हैं। परिवार वाले भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं। दर्शकों की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। अब जो लोग विधानसभा देखने आते हैं, वापसी में विधायिका के बारे में बदली हुई राय लेकर जाते हैं।
महिलाओं व विशेषाधिकार के मामले में बदलाव
सतीश महाना ने कहा कि नियमावली के नियम-287 में बदलाव किया गया है। इसके तहत अध्यक्ष महिला सदस्यों को बोलने के ज्यादा अवसर दे सकेंगे। छोटी-मोटी गलतियों के लिए किसी कार्मिक को विधानसभा के सामने पेश न करना पड़े, इसलिए विशेषाधिकार के मामलों में अध्यक्ष को भर्त्सना और जुर्माना के लिए अधिकृत किया गया है। सतीश महाना ने कहा कि विशेषाधिकार के तहत छोटे-बड़े सभी मामले सदन में उठाए जाने का प्रावधान था, लेकिन 18वीं विधानसभा से पहले विगत 65 साल में किसी भी अधिकारी को लघु दंड भी नहीं दिया गया। अब सिर्फ दीर्घ दंड के मामले ही सदन में जाएंगे, शेष का निस्तारण विशेषाधिकार समिति और अध्यक्ष के माध्यम से होगा।