रविशंकर प्रसाद
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पीएम मोदी और राहुल गांधी ने जब से संसद में भाषण दिया है, तभी से भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर हैं। अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा था कि मणिपुर में सेना एक दिन में शांति ला सकती है। लेकिन सरकार उसका उपयोग नहीं कर रही है। वहीं, इस बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है।
शनिवार को राहुल के बयान पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वे क्या चाहते हैं कि सशस्त्र बल हिंसा प्रभावित मणिपुर में भारतीयों पर गोलीबारी करें, उनके मन में लोकतंत्र की भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में दो समूहों के बीच काफी तनाव है और राहुल गांधी संसद में भड़काऊ भाषण दे रहे हैं।
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने हमला करते हुए कहा कि क्या वह वही चाहते थे जो उनकी दादी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मिजोरम में किया था, 1960 के दशक में उन्होंने वायु सेना को मिजोरम में बम बरसाने का आदेश दिया था। हालांकि कांग्रेस ने कहा है कि वायु सेना का इस्तेमाल तब सशस्त्र आतंकवादी समूहों को निशाना बनाने के लिए किया गया था।
आगे रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी को सद्भाव फैलाना चाहिए और भारतीयों को एकजुट करने के लिए काम करना चाहिए। साथ ही भारत माता के बयान पर उन्होंने कहा कि वह न तो देश को समझते हैं और न ही इसकी राजनीति को। साथ उन्होंने विपक्ष पर संसद के मानसून सत्र के दौरान इसे बार-बार बाधित करके “पूरी तरह से गैर-जिम्मेदाराना” व्यवहार करने का भी आरोप लगाया।
पूर्वोत्तर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता कांग्रेस से कहीं अधिक है : अनुराग ठाकुर
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को कहा कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों के प्रति केंद्र की भाजपा सरकार की प्रतिबद्धता कांग्रेस की अपेक्षा बहुत अधिक है। हिंसा प्रभावित मणिपुर में स्थिति बहाल करने के लिए सरकार ने अभूतपूर्व प्रयास किए हैं। जब मणिपुर में शांति बहाल करने के प्रयास जारी हैं, तो विपक्ष को आग में घी नहीं डालना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर लोगों की राय नहीं बंटनी चाहिए। कांग्रेस शासन के दौरान मणिपुर बम, बंद और विस्फोट के लिए जाना जाता था। यह कांग्रेस ही है जिसने यहां नफरत और सांप्रदायिक हिंसा के बीज बोये।
कांग्रेस के समय में मणिपुर महीनों तक बंद रहा, हजारों लोग मारे गए, पेट्रोल 1,000 रुपये प्रति लीटर तक बिका, एलपीजी छह महीने तक उपलब्ध नहीं रही। तब किसी प्रधानमंत्री, यहां तक कि गृह मंत्री ने भी कभी जवाब नहीं दिया, न ही वे मणिपुर गये। जबकि, मौजूदा हिंसा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह चार दिनों तक मणिपुर में रहे और 15 से अधिक बैठकें कीं।