raksha bandhan
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श्रावणी उपाकर्म और रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को ही मनाया जाएगा। काशी के ज्योतिषाचार्यों ने रक्षाबंधन के पर्व को लेकर फैले भ्रम का निराकरण कर दिया है। शनिवार को बीएचयू के ज्योतिष विभाग में काशी विद्वत परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रो. रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में तिथि पर सर्वमान्य निर्णय हुआ।
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ज्योतिषाचार्य प्रो. रामचंद्र पांडेय ने धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथों का उल्लेख करते हुए बताया कि यदि पूर्णिमा का मान दो दिन का प्राप्त हो रहा है तो प्रथम दिन सूर्योदय के एक घटी के बाद पूर्णिमा का आरंभ होकर दूसरे दिन पूर्णिमा छह घटी से कम प्राप्त हो रही हो तो पूर्व दिन में भद्रा से रहित काल में रक्षाबंधन करना चाहिए। 31 अगस्त को पूर्णिमा छह घटी से कम प्राप्त हो रही है। 30 अगस्त को नौ बजे रात तक भद्रा है, इसलिए 30 अगस्त को रात्रि में भद्रा के बाद रक्षाबंधन करना शास्त्र सम्मत होगा। रात्रिकाल में भी रक्षाबंधन का विधान है।