मुरादाबाद। देश का विभाजन हुए सात दशक बीत गए लेकिन लोग उस समय की पीड़ा का अनुभव आज भी करते हैं। शहर में पाकिस्तान से जान बचाकर आए लोगों की संख्या करीब एक हजार है। मुख्य अतिथि एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त ने पार्टी कार्यालय में रविवार को पत्रकार वार्ता के दौरान ये जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि शहर में पाकिस्तान से पीड़ा सहन कर आए करीब एक हजार लोग मौजूद हैं। भारत के विभाजन की पीड़ा को भुलाया नहीं जा सकता है। बंटवारे में लोगों को बेवजह नफरत के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। भारत विभाजन के समय छह लाख लोग मारे गए। डेढ़ करोड़ लोग बेघर हो गए। एक लाख महिलाओं के साथ दुराचार हुआ। अलगाववाद की शुरूआत 1906 से शुरू हो गई जब मुस्लिम लीग का गठन हुआ। धर्म के आधार पर देश विभाजन की नींव जिन्ना ने रखी। मोहम्मद अली जिन्ना अपनी जिद पर अड़े थे। गांधीजी ने जिन्ना को समझाने का प्रयास किया लेकिन वह मानने के लिए तैयार नहीं थे। गांधीजी देश का विभाजन करने के लिए तैयार नहीं थे।
इस बीच देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली जिन्ना में एक समझौता हुआ। भारत का विभाजन स्वीकार करने का अर्थ यह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की गुंडागर्दी के सामने पराजय स्वीकार कर ली। देश के बड़े बुद्धिजीवी एवं विद्वान डॉ. भीमराव आंबेडकर ने यह अनुभव किया कि कांग्रेस हर हालत में मुस्लिम लीग को प्रसन्न करने में जुटी थी। वह उनकी अनुचित मांग को स्वीकार करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती थी।
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपनी पुस्तक थॉट्स ऑन पाकिस्तान में नेहरू और तत्कालीन कांग्रेस के रवैए की आलोचना की थी। 1957 से पहले देश पर मुगलों का शासन रहा। उसके बाद अंग्रेजों का शासन था लेकिन देश के लोगों ने कभी पराधीनता स्वीकार नहीं की। वर्तमान पीढ़ी को इतिहास का ज्ञान कराना जरूरी है। पाकिस्तान ने सबसे पहले राजा हरि सिंह पर आक्रमण किया था। देश विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था हो चुका है। अब अमृतकाल 2047 तक चलेगा। पत्रकार वार्ता के दौरान जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह चौहान, महानगर महामंत्री नाथूराम कश्यप, श्याम बिहारी शर्मा, कमल गुलाटी, दिनेश शीर्षवाल, मीडिया प्रभारी राजीव गुप्ता, परमेश्वर लाल सैनी, सुभाष भटनागर आदि मौजूद रहे।