Ratan Tata: रतन टाटा को जान से मारने के लिए गैंगस्टर ने दी थी सुपारी, उद्योगपति ने खुद बताया वाकया

Ratan Tata: रतन टाटा को जान से मारने के लिए गैंगस्टर ने दी थी सुपारी, उद्योगपति ने खुद बताया वाकया



रतन टाटा
– फोटो : Instagram/Ratan Tata

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टाटा समूह के चेयरमैन रहे रतन टाटा अक्सर खबरों में बने ही रहते हैं। कभी किसी व्यापार के कारण तो कभी अपनी उपलब्धियों के लिए मिलने वाले सम्मान के लिए। हाल ही में, महाराष्ट्र सरकार ने दिग्गज उद्योगपति को ‘उद्योग रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया है। ऐसे में उनसे जुड़ा करीब एक दशक पुराना वीडियो सामने आया है, जिसमें वह टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में अपने शुरुआती दिनों के दौरान एक गैंगस्टर के साथ हुई मुठभेड़ का किस्सा बता रहे। वहीं, वह यह भी बता रहे थे कि कैसे कई बार उनके फैसले नागवार होते रहे हैं और आगे चलकर वहीं अहम साबित होते। 

रतन टाटा का इतिहास

बता दें, रतन टाटा ने सन् 1991 में टाटा ग्रुप की कमान संभाली थी। इसके बाद उन्होंने अपने कारोबारी फैसलों से टाटा समूह को कई देशों तक पहुंचा दिया। ऑटोमोबाइल के अलावा संचार, केमिकल सेक्टर में टाटा समूह का दखल बढ़ा। वह 2012 तक टाटा सन्स के चेयरमैन रहे। रतन टाटा को 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

कोलंबिया बिजनेस स्कूल ने साझा किया वीडियो

एक वीडियो कोलंबिया बिजनेस स्कूल की ओर से अपने यूट्यूब चैनल पर साझा किया है, जो करीब एक दशक पुराना है। इसमें दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने खुद बताया कि कैसे टाटा समूह के चैयरमैन रहते हुए उन्हें जमशेदपुर के टाटा मोटर्स प्लांट (पहले टेल्को) में काम करने के दौरान गैंगस्टर द्वारा जान से मारने की धमकी दी गई थी। 

खतरनाक गैंगस्टर से हुआ सामना

रतन टाटा के करियर की शुरुआत टाटा स्टील से ही हुई थी। टाटा स्टील और टाटा मोटर्स में काम करने के दौरान वह जमशेदपुर में रहे थे। इस दौरान ही यह घटना घटी थी। उन्होंने कहा कि उनका सामना एक खतरनाक गैंगस्टर से हुआ था, जब वह जमशेदपुर में टाटा मोटर्स में काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनको जान से मारने की धमकी दी गई थी। टाटा मोटर्स की यूनियन पर कब्जा करने के लिए बदमाशों ने हर संभव कोशिश की थी। 

हथियाना चाहता था संपत्ति

85 वर्षीय दिग्गज ने कहा कि मेरे चेयरमैन बनने के 15 दिन बाद टाटा मोटर्स (पहले टेल्को) में हमारी यूनियन पर बहुत बड़ी परेशानी आई थी। एक गैंगस्टर ने फैसला किया कि यूनियन में काफी संपत्ति है और वह इसे हथियाना चाहता है। गैंगस्टर में बड़ी संख्या में लोग थे। यह बेहद डरावने और हिंसक थे। लोग सुझाव दे रहे थे कि मैं गैंगस्टर की बात मान लूं और इस विवाद को बातचीत से सुलझा लूं। 

उन्होंने कहा कि लेकिन मैंने इन सभी सलाहों को दरकिनार कर उसका सामना करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि उस वक्त पुलिस भी असहाय थी और गैंगस्टर टाटा मोटर्स प्लांट के कर्मचारी पर हमला कर रहा था। 

चाकू से किया हमला

अरबपति ने कहा कि खतरनाक गैंगस्टर ने डराने और संदेश भेजने के लिए टाटा मोटर्स के कुछ अधिकारियों पर चाकू से भी हमला किया। गैंगस्टर से लगातार धमकियां मिलती रहीं। लेकिन मैंने नहीं झुकने का फैसला कर लिया था। उन्होंने कहा कि बदमाश यहीं नहीं रुके। गैंगस्टर ने हड़ताल करा दी और हमले के डर से कर्मचारियों ने काम पर आने से इनकार कर दिया। टाटा ने कहा कि मैं कर्मचारियों से बात करने के लिए खुद प्लांट में रुका रहा। इस दौरान मैंने बोनस की घोषणा कर दी, जिसके बाद हड़ताल समाप्त हो गई। 

पुलिस भी थी असहाय

उद्योगपति के अनुसार, गैंगस्टर कथित तौर पर टाटा मोटर्स के कर्मचारियों पर हमला करने के लिए लोगों को लाया था और पुलिस भी असहाय थी। हालांकि, वह डरे नहीं और डटे रहे, जिसके परिणामस्वरूप गैंगस्टर को पकड़ लिया गया। हालांकि, जब वह जेल से रिहा हुआ, तो गैंगस्टर ने उन्हें मारने की सुपारी दी। 

झुकने से इनकार

उन्होंने गैंगस्टर की धमकियों के आगे झुकने से इनकार कर दिया और जिस चीज में उनका विश्वास था, उसके लिए खड़े रहे। उन्होंने प्लांट में रहकर और श्रमिकों को अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करके बहुत साहस दिखाया। उन्होंने कहा कि लोग चाहते थे कि मैं उसके साथ बात कर लूं, लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं किया…इस पर पीछे मुड़कर देखने पर पता चलता है कि मैं इसे किसी अन्य तरीके से कभी नहीं करता।



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