मालवीय पुस्तकालय अलीगढ़
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अंग्रेजी हुकूमत के दौरान निर्मित मालवीय पुस्तकालय जल्द ही अपने पुराने भव्य स्वरूप में दिखाई देगा। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन इसको नया रंगरूप देगा। मंगलवार को जिलाधिकारी ने आईओसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर इसके निर्देश दिए हैं।
इमारत को लंबे समय तक जनोपयोगी बनाए रखने के लिए यहां व्यापक कार्य होगा। डीएम ने कहा कि मालवीय पुस्तकालय शहर के बीचों-बीच स्थित एक किले जैसी प्राचीन संरचना है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत तक की यादों को संजोकर रखा है। मालवीय पुस्तकालय के सचिव एचबी माथुर ने कहा कि इससे पूर्व किसी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं गया।
डीएम ने मालवीय पुस्तकालय के ऐतिहासिक महत्व को जाना और अब उसके सौंदर्यीकरण का बीड़ा उठाया है। इस पुस्तकालय की नींव 1889 में रखी गई थी, जिसे पंडित मदन मोहन मालवीय पुस्तकालय के नाम से जानते हैं। ब्रिटिश हुकूमत में इसे लायल लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता था। पुस्तकालय का इतिहास 150 वर्ष पुराना है।
यहां विविध प्रकार की सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और पुराने साहित्यकारों एवं लेखकों की 50,000 से अधिक किताबों का संग्रहालय भी है। आज यहां 1100 से अधिक पंजीकृत छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। उन्होंने बताया कि मालवीय पुस्तकालय परिसर में संचालित सिविल सर्विसेज मार्गदर्शिका के माध्यम से अब तक 250 से अधिक छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो चुके हैं।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के उप महाप्रबंधक एमएस मेहता ने बताया कि मंगलवार को ही आईओसी की ओर से आशीष कुमार मैनेजर इंजीनियरिंग एवं प्रियांशु गुप्ता सहायक प्रबंधक रिटेल सेल की देखरेख में नाप-जोख का कार्य आरंभ कर दिया गया है। जल्द ही पुस्तकालय को उसके पुराने भव्य स्वरूप में लाने का प्रयास किया जाएगा।