JDU Party : ललन सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरिवंश को नहीं रखने पर क्या कहा; जानें अंदर की हरेक बात

JDU Party : ललन सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरिवंश को नहीं रखने पर क्या कहा; जानें अंदर की हरेक बात



राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को जदयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं दी।
– फोटो : अमर उजाला

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जनता दल यूनाईटेड (JDU) की जंबो राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुधवार को जारी हुई। पूरे 98 नाम थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी ऊपर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। जदयू की इस सूची को देखकर मीडिया ही नहीं, पार्टी में भी कई तरह की बातें आयीं। कहा गया कि राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश नारायण सिंह की छुट्टी कर दी गई। इसमें कितनी हकीकत है, ‘अमर उजाला’ ने तथ्यों की पड़ताल की। छुट्टी कहना कितना उचित, इसकी भी। क्योंकि, इस सूची में नाम नहीं था। तो, क्या पहली सूची में यह नाम था? फिर जदयू के कई राष्ट्रीय नेताओं से बात की गई। जो बातें निकलीं, वह बेहद अनूठी है। और, सबसे अंत में बात जब राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से हुई तो उन्होंने सारी दलीलों से अलग ही बात कर दी। आइए, जानते हैं क्या-क्यों और कैसे हुआ?

उपेंद्र कुशवाहा प्रकरण की तरह पेपर से बाहर

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को किनारे रखकर जब उपेंद्र कुशवाहा जदयू में शामिल हुए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष घोषित किया। जब राजद-जदयू गठबंधन के बाद कुशवाहा और ललन सिंह में टकराव होने लगा तो एक समय अचानक राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि संसदीय बोर्ड अध्यक्ष जैसा कोई पद ही अस्तित्व में नहीं है। जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हरिवंश को बाहर किए जाने की खबरों में भी उसी तरह की हकीकत है। ‘अमर उजाला’ ने पटना से लेकर दिल्ली तक जदयू के कई नेताओं से बुधवार को जारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पहले की सूची मांगी तो जवाब मिला कि किसी के पास नहीं है। बताया गया कि जदयू कार्यकारिणी में किसी पदधारक के रूप में अरसे से हरिवंश को बुलाया नहीं गया है। इसकी सच्चाई जानने के लिए राज्यसभा को उप सभापति को कई बार कॉल किया गया, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। वैसे, लगभग यही हुआ था उपेंद्र कुशवाहा के समय। संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष घोषित हुए, कागज पर भी आए और जब हटाया गया तो पिछला कोई कागज नहीं था। ऐसे में राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर करने की जगह जदयू नेता भी यही कह रहे कि नहीं रखा गया।

हरिवंश को नहीं रखने की दलील खुद ही बेकार

जदयू के कई नेताओं ने बातचीत के दरम्यान कहा कि हरिवंश चूंकि संवैधानिक पद पर हैं, इसलिए उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नहीं रखा गया। यह किसी छोटे नेता का नहीं, बल्कि जदयू के चार बड़े नेताओं की कही हुई बात है। इन नेताओं के पास इस सवाल का जवाब नहीं कि बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी भी संवैधानिक पद पर रहते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। अगर विधायक के रूप में वह संवैधानिक पद पर रहते हुए कार्यकारिणी सदस्य बन सकते हैं तो तकनीकी रूप से हरिवंश नारायण सिंह को नहीं रखने की यह दलील स्वीकार करने लायक नहीं है। 

परिस्थितियां छिपी नहीं, सब आइने की तरह साफ

ऐसे में जब पार्टी के अंदर के संदेशों को समझने की कोशिश की गई तो यह साफ हुआ कि नए संसद के उद्घाटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होने से लेकर पिछले दिनों व्हिप के उल्लंघन का रास्ता निकालने तक के हरिवंश के निर्णयों का खामियाजा के रूप में इसकी व्याख्या की जा रही है। पार्टी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की गुजारिश के साथ कहा- “परिस्थितयां किसी से छिपी नहीं हैं, इसलिए उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नहीं रखने का मतलब समझना मुश्किल नहीं। सब आइने की तरह साफ है और पार्टी के अंदर यह संदेश भी साफ-साफ दिया गया है कि लाइन से हटना उचित नहीं।” 

मगर, अध्यक्ष ललन सिंह ने क्या कहा- यह जानिए

हर तरफ से इस मामले में चल रही बातों को समझने और बयानों के बाद ‘अमर उजाला’ ने यही सवाल राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से पूछा। उन्होंने सारी बात सुनने के बाद सीधे कहा- “मीडिया ने खुद क्यों नहीं बना ली जदयू की कार्यकारिणी? मीडिया नहीं बता सकता कि किसे रखना है और किसे नहीं।” राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इसके बाद कॉल काट दिया, जिसके कारण दो सवाल रह गए- 1. जदयू के लोग उनके संवैधानिक पद पर रहने की बात क्यों कह रहे? 2. जब पार्टी उन्हें किनारे कर रही है तो राज्यसभा में उन्हें बनाए रखने को लेकर क्या स्टैंड है?



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