स्पाइसजेट
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एकल न्यायाधीश के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसमें स्पाइसजेट और उसके प्रवर्तक अजय सिंह को मीडिया दिग्गज कलानिधि मारन को 579 करोड़ रुपये और ब्याज लौटाने का निर्देश दिया गया था।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के 31 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली सिंह और स्पाइसजेट एयरलाइन की अपील पर मारन और उनकी कंपनी काल एयरवेज को नोटिस जारी किया और उनसे जवाब मांगा।
एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगाने मांग वाली याचिका खारिज
उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगाने के आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय का सात जुलाई का आदेश उसे ऐसा करने से बाध्य करता है और अपील को सात अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
पीठ ने कहा, ”उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और सात जुलाई के आदेश के आलोक में अपीलकर्ताओं के पक्ष में संभवत: कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है जो उन्हें (शीर्ष अदालत के) दो आदेशों से उत्पन्न दायित्वों से मुक्त करते हैं। नतीजतन आवेदन खारिज किया जाता है। उच्चतम न्यायालय ने सात जुलाई को स्पाइसजेट को मारन और कल एयरवेज को भुगतान करने के लिए दिए गए समय को बढ़ाने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जून को स्पाइसजेट को ब्याज चुकाने का दिया था निर्देश
समय बढ़ाने से इनकार करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जून को स्पाइसजेट को निर्देश दिया था कि वह मारन और उनकी कंपनी का एयरवेज को मध्यस्थता फैसले पर ब्याज के रूप में दिए जाने वाले 75 करोड़ रुपये तत्काल जमा कराए।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान स्पाइसजेट और सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने दलील दी कि उनकी चुनौती 18 प्रतिशत ब्याज के मुद्दे पर है जिसे न्यायाधिकरण ने स्पाइसजेट को भुगतान करने का निर्देश दिया था।
स्पाइसजेट ने कहा- वह भुगतान करना चाहती है पर पैसों की कमी के कारण ऐसा नहीं कर सकी
स्पाइसजेट की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि धन की कमी के कारण एयरलाइन मारन को 75 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर सकी, ऐसा नहीं है कि कि वह भुगतान नहीं करना चाहती थी। स्पाइसजेट ने एक बयान में कहा, ”हमें अपील के शीघ्र समाधान की उम्मीद है। हम अपने मामले को लगन और सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम एक न्यायसंगत और निष्पक्ष समाधान की मांग कर रहे हैं।
मारन और काल एयरवेज का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह और लॉ फर्म करंजावाला एंड कंपनी ने किया। एकल न्यायाधीश ने 31 जुलाई को मारन और काल एयरवेज के पक्ष में 20 जुलाई, 2018 को मध्यस्थता न्यायाधिकरण की ओर से दिए गए फैसले को बरकरार रखा था।