Moradabad News: बारिश से लाइनों में हो रहे फाल्ट, कटौती ने बढ़ाई परेशानी

Moradabad News: बारिश से लाइनों में हो रहे फाल्ट, कटौती ने बढ़ाई परेशानी


कांठ (मुरादाबाद)।

बारिश के कारण जर्जर लाइनों में बार-बार हो रहे फाल्टों की वजह से लोगों को शेड्यूल के मुताबिक बिजली नहीं मिल पा रही है। वहीं बिजली निगम अधिकारियों की अनदेखी के कारण बिजली लाइनें साथ नहीं दे रही हैं।

नगर क्षेत्र को रेलवे स्टेशन के दूसरी ओर स्थित बिजली उपकेंद्र से आपूर्ति की जाती है। इसके लिए दो फीडर संचालित हैं। इसमें एक तहसील और दूसरी टाउन फीडर के नाम से है, लेकिन दोनों फीडरों की लाइनें काफी जर्जर हो चुकी हैं। इसके कारण आए दिन फाल्ट होते रहते हैं। इसके चलते लोगों को अघोषित कटौती का सामना करना पड़ता है। उधर, छजलैट क्षेत्र को भीकनपुर स्थित बिजली उपकेंद्र से आपूर्ति होती है। इससे करीब 33 गांव जुड़े हैं, लेकिन लाइनों में आए दिन होने वाले फाल्टों के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को कटौती मुक्त बिजली नहीं मिल पाती। छजलैट निवासी डॉ. जहीर अहमद, हसीबुल, ग्राम प्रधान शमीम अहमद, रमेश सिंह, संजय कुमार, वीर सिंह आदि ने जर्जर लाइनों को बदलवाने की मांग की है।

नगर की जर्जर लाइनों को बदलवाने की कवायद नहीं

नगर में जर्जर हो चुकी बिजली लाइनों को बदलवाने के लिए बिजली निगम द्वारा कोई भी कवायद नहीं की जा रही है। कई साल पहले आईपीडीएस योजना के अंतर्गत लाइनों और खंभों को बदला गया था, लेकिन उस समय भी कार्यदायी संस्था ने चालू काम करके अपने भुगतान करा लिया था। अब नगर क्षेत्र की बिजली लाइनों साथ नहीं दे पा रही हैं। वहीं बिजली कर्मचारी भी एक स्थान के फाल्ट को दूर नहीं कर पाते हैं कि दूसरे स्थानों पर फाल्ट हो जाते हैं।

नहीं है सरकारी लाइनमैन, ठेका और संविदा कर्मी चला रहे बिजली

तहसील मुख्यालय होने के बाद भी यहां पिछले करीब आठ सालों से एक भी सरकारी लाइनमैन नहीं है। नगर क्षेत्र की आबादी 50 हजार से भी है। बिजली उपकेंद्र से करीब 6500 बिजली कनेक्शन हैं, लेकिन यहां सरकारी लाइनमैन की नियुक्ति नहीं की गई है। ठेका और संविदा कर्मचारी ही जैसे तैसे जुगाड़ कर बिजली आपूर्ति चला रहे हैं।

– आरडीएसएस योजना के अंतर्गत जर्जर लाइनों को बदलवाया जाना है। इसके लिए सभी काम पूरे हो चुके है। कार्यदायी संस्था एनसीसी के द्वारा जल्द ही जर्जर लाइनों को बदने का कार्य शुरू करा दिया जाएगा। – अनुप मिश्रा, एसडीओ, कांठ



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