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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि छुट्टी पर काम हुआ और यह साबित है तो अतिरिक्त कार्य के मानदेय भुगतान का दावा यह कहते हुए निरस्त नहीं किया जा सकता कि याची उपस्थिति प्रमाणपत्र नहीं दे सका। कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रियात्मक त्रुटि है, जिसे याची द्वारा दुरूस्त किया जा सकता है।
कोर्ट ने 18 जनवरी 2019 को डायरेक्टर विजिलेंस द्वारा जारी आदेश तथा इसके खिलाफ याचिका खारिज करने के एकल न्यायपीठ के तीन जुलाई 2023 के आदेश को रद कर दिया है। इसके साथ ही डायरेक्टर विजिलेंस को एक माह में नियमानुसार आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने विनोद कुमार सिंह की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची का कहना था कि उससे छुट्टी पर अतिरिक्त कार्य लिया गया। नियमानुसार उसे इसका अतिरिक्त मानदेय पाने का अधिकार है। डायरेक्टर ने यह कहते हुए भुगतान से इन्कार कर दिया कि याची छुट्टी पर हाजिर नहीं था और न ही उसने छुट्टी पर काम का प्रमाण पत्र पेश किया।
याची ने आरटीआई में उपस्थिति की जानकारी मांगी। प्राप्त जानकारी अदालत में दाखिल की गई, जिसमें उसे उपस्थित बताया गया। इसके बाद भी अदालत ने डायरेक्टर के आदेश को सही माना और याचिका खारिज कर दी। याची चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। कोर्ट ने डायरेक्टर के आदेश को दुराग्रहपूर्ण माना और कहा कि जब छुट्टी पर काम होना साबित हो तो दावे को अस्वीकार नहीं कर सकते।