पीएम मोदी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इसरो के वैज्ञानिकों से मुलाकात की और उन्हें चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए बधाई दी। इस दौरान वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कई बड़े एलान किए, जिनमें से एक एलान के मुताबिक जिस जगह चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर विक्रम ने टच डाउन किया, अब से उसे ‘शिव-शक्ति पॉइंट’ के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा पीएम मोदी ने ‘तिरंगा पॉइंट’ और ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ मनाने का भी एलान किया।
प्रधानमंत्री ने नामकरण की वजह भी बताई
प्रधानमंत्री ने इस नामकरण की वजह बताते हुए कहा कि ‘स्पेस मिशन के टच डाउन पॉइंट को एक नाम दिए जाने की परंपरा है। चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है, भारत ने उस स्थान के नामकरण का भी फैसला लिया है। जिस जगह पर चंद्रयान-3 का लैंडर उतरा है, अब उस पॉइंट को ‘शिव-शक्ति’ के नाम से जाना जाएगा। शिव में मानवता के कल्याण का संकल्प समाहित है और शक्ति से हमें उन संकल्पों को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है। चंद्रमा का शिव शक्ति पॉइंट, हिमालय के कन्याकुमारी से जुड़े होने का बोध कराता है।’
जहां छोड़े पदचिन्ह, अब वो पॉइंट होगा ‘तिरंगा’
पीएम मोदी चंद्रयान-3 की सफलता में चंद्रयान-2 की कोशिश को भी नहीं भूले और उन्होंने एलान किया कि चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिन्ह छोड़े हैं, वह पॉइंट अब तिरंगा कहलाएगा। ये तिरंगा पॉइंट भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा। ये तिरंगा पॉइंट हमें सीख देगा कि कोई भी विफलता आखिरी नहीं होती। बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था। यह मिशन असफल हो गया था और चंद्रयान-2 का लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका था। हालांकि चंद्रयान-2 की विफलता से सीखकर ही भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 मिशन में सफलता हासिल की। यही वजह है कि पीएम मोदी ने तिरंगा पॉइंट को भारतीयों के लिए प्रेरणा बताया।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस
प्रधानमंत्री ने कहा कि 23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) के रूप में मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अंतरिक्ष और तकनीक के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनकर जरूर उभरेगा। अनुसंधान की ये ताकत भारत को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएगी और 2047 में भारत को विकसित देश बनाएगी। भारत के शास्त्रों में जो खगोलीय सूत्र हैं, उन्हें वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध करने के लिए, नए सिरे से उनके अध्ययन के लिए नई पीढ़ी आगे आए। ये हमारी विरासत के लिए भी जरूरी है और विज्ञान के लिए भी।