प्रशांत किशोर
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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भाजपा-विरोधी I.N.D.I.A. गठबंधन में कोई अहम जिम्मेदारी मिलने या नहीं मिलने को लेकर सवाल के जवाब में कहा कि शून्य एमपी वाला राष्ट्रीय जनता दल के चाहने से वहां कुछ होने वाला नहीं है। वहां कांग्रेस, डीएमके, तृणमूल जैसे ताकतवर दलों के सामने शून्य एमपी वाला राजद कहे कि नीतीश कुमार को कुछ बना दिया जाए और उसे मान लिया जाए, यह मानने वाली बात नहीं। नीतीश कुमार की पार्टी के पास भी 16 सांसद हैं तो एनडीए के सहयोग से बने ही। वास्तविक स्थिति तो सभी को पता है।
नीतीश कुमार के पास कुछ है ही नहीं
पीके ने आगे कहा कि जहां तक नीतीश कुमार के प्रयास का सवाल है तो उनकी हालत तो अपने ही राज्य में खराब है। जब अपने राज्य में पैर रखने का ठिकाना नहीं है तो विपक्षी एकता और देश के स्तर पर नेतृत्व करने का सवाल ही नहीं है। विपक्षी एकता का नेतृत्व कोई करेगा तो सबसे बड़ी पार्टी तो कांग्रेस है, उसके बाद तृणमूल है, डीएमके है। यह लोग पूरा का पूरा राज्य जीत कर बैठे हैं। इनके पास 25-25 एमपी है। अपने राज्य में वह जीतने का दावा कर सकते हैं। नीतीश कुमार के पास कुछ है ही नहीं। न दल है और न ही इमेज बचा तो किस आधार पर उनको नेतृत्व दे दिया जाए। आप कर्नाटक, तमिलनाडु या बंगाल में जाएंगे तो नीतीश कुमार की कहीं चर्चा नहीं मिलेगी।
राजद के पास जीरो एमपी है
प्रशांत किशोर ने कहा कि जब बिहार में महागंठबंधन मना तो मैं उस वक्त ही कहा था कि यह बिहार की राजनीतिक से जुड़ी घटना है। इसका राष्ट्रीय राजनीति से कोई असर पड़ने वाला है। राजद के पास एक भी एमपी नहीं है। जिस दल के जीरो एमपी है वह तय करेगा कि देश कौन चलाएगा, ऐसा संभव है। नीतीश कुमार के पास 42 विधायक है और 16 एमपी है, वह भी पिछले गठबंधन में वह जीते थे। इस बार कितना जीतेंगे यह आपको मामलू ही है।