वैश्विक आतंकी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया’ (आईएसआईएस) अब भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पांव पसारने लगा है। इसके लिए लोकल स्तर पर ‘गुर्गे’ तैयार किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा आतंक से संबंधित कई केसों की जांच में हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं। किसी जगह पर तो मुर्गी फार्म में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) जैसा घातक विस्फोटक तैयार करने की ट्रेनिंग दी जा रही है तो कहीं इसके लिए मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की भर्ती हो रही है। कुछ वर्ष पहले तक आईईडी तैयार करने का फॉर्मूला जम्मू कश्मीर और नक्सल प्रभावित इलाकों तक सीमित था, लेकिन अब वह उस दायरे से बाहर निकल चुका है। देश के कई हिस्सों में ‘आईएसआईएस’ की मदद से ‘आईईडी’ तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कहां तक फैली हैं स्लीपर सेल मॉड्यूल की जड़ें?
एनआईए ने इस मामले में दो वांछित फरार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आतंकी, राजस्थान और देश के दूसरे हिस्सों में वारदात को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे। जांच एजेंसी ने गत वर्ष राजस्थान के जिला चित्तौड़गढ़ में ‘एसयूएफए’ आतंकवादी संगठन, जिसका लिंक आईएसआईएस से रहा है, के सदस्यों के कब्जे से विस्फोटक और आईईडी सामग्री जब्त की थी। इस केस में रतलाम के रहने वाले मोहम्मद यूनुस साकी और इमरान खान उर्फ यूसुफ को गिरफ्तार किया गया था। सोमवार को ये दोनों आरोपी, जयपुर स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पेश किए गए। एनआईए को उम्मीद है कि इन दोनों की गिरफ्तारी से जांच एजेंसी को इस मामले की तह तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इस संगठन के सदस्यों का लिंक, देश में ऐसे दूसरे कितने समूहों के साथ है। भारत में आईएसआईएस के सक्रिय सदस्यों का फैलाव कहां तक है। स्लीपर सेल मॉड्यूल की जड़ें कहां तक हैं। मोहम्मद यूनुस साकी और इमरान खान, इन दोनों आतंकियों को महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया गया था। ये दोनों आतंकी, सक्रिय रूप से आईएसआईएस विचारधारा को फैलाने में लगे हुए थे।
आईईडी निर्माण में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त था
जांच एजेंसी ने आरसी-18/2022/एनआईए/डीएलआई मामले में उक्त दोनों वांछित आरोपियों के कब्जे से विस्फोटक और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न घटकों को जब्त किया था। बाद में जांच से पता चला कि दोनों व्यक्तियों ने राजस्थान और भारत में अन्य जगहों पर आतंक/तबाही फैलाने के इरादे से आईईडी बनाने के लिए सामग्री और पदार्थ खरीदे थे। इन दोनों आतंकियों को आईईडी निर्माण में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त था। मास्टरमाइंड इमरान खान के पोल्ट्री फार्म में आईईडी तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाती थी। इस दौरान उन्हें यह भी बताया जाता था कि वे कच्चा माल कहां से प्राप्त कर सकते हैं। इस पोल्ट्री फार्म को एनआईए ने पिछले महीने ही कुर्क कर दिया था। गत वर्ष दोनों आरोपी मुंबई भाग गए थे। उन्होंने पुणे में कम से कम दो आईईडी प्रशिक्षण और निर्माण कार्यशालाएं आयोजित की थी। इस मामले में सरगना इमरान और 10 अन्य आरोपियों के खिलाफ एनआईए ने पिछले साल सितंबर में आरोप पत्र दायर किया था।
‘डार्कनेट’ की मदद ले रहे हैं आतंकी संगठन
अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’, अब भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जड़े फैलाने का प्रयास कर रहा है। इंटरनेट की काली दुनिया यानी ‘डार्कनेट’ के जरिए यह आतंकी संगठन नए सदस्यों की भर्ती कर रहा है। जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों में स्थापित हो चुके इस संगठन की कोशिश है कि अब भारत में आतंकवाद को जम्मू कश्मीर व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से बाहर निकालकर बाकी राज्यों तक उसका विस्तार किया जाए। इसके लिए ‘आईएसआईएस’ द्वारा आतंक के अपडेट तरीके इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। इनमें डार्कनेट का इस्तेमाल, स्थानीय स्तर पर इम्प्रूवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) तैयार करना और सुरक्षा बलों के साथ सीधे तौर पर टकराहट से बचाव के लिए रोबोट खड़े करना, आदि शामिल है। इतना ही नहीं, ‘इस्लामिक स्टेट’ के जो पांच मुखौटे तैयार किए गए हैं, उनमें मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की भर्ती भी हो रही है।
‘स्लीपर सेल’ तैयार कर रहे हैं आतंकी संगठन
सूत्रों के मुताबिक, देश में अभी तक जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में ही आतंकवादी घटनाएं देखने को मिलती रही हैं। जम्मू कश्मीर में जहां पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’, लगातार सक्रिय रहती है, वहीं पूर्वोत्तर में म्यांमार, चीन और बांग्लादेश से जुड़े उग्रवादी समूह एक्टिव रहते हैं। एनआईए ने हाल ही में दो बड़े सनसनीखेज खुलासे किए हैं। इनसे मालूम पड़ता है कि वैश्विक आतंकवादी संगठन अब भारत के हर हिस्से को अपनी चपेट में लेना चाहते हैं। इसके लिए वे ‘स्लीपर सेल’ तैयार कर रहे हैं। कश्मीर में तो इस तरह के अनेकों ‘स्लीपर सेल’ हैं। वहां पर उन्हें ओवर ग्राउंड वर्कर/अंडर ग्राउंड वर्कर भी कहा जाता है। एनआईए द्वारा कर्नाटक और महाराष्ट्र से जुड़े जिन दो मामलों में चार्जशीट दायर की गई है, उसके मुताबिक, इस्लामिक स्टेट अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक पांव पसारने की तैयारी में है। हालांकि एनआईए एवं दूसरी एजेंसियों की मुस्तैदी से इस तरह के नए संगठन जल्द ही पकड़े जाते हैं।
एक चेहरा और पांच मुखौटों की कहानी
कश्मीर में मौजूद पाकिस्तानी आतंकी संगठन भी अब मुखौटे तैयार कर रहे हैं। इनका मकसद है कि मूल संगठन छिपा रहे ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस संगठन को कोई दिक्कत न हो। ‘लश्कर-ए-तैयबा’ ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ ने ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) को अपनी सक्रिय प्रॉक्सी विंग के तौर पर खड़ा कर दिया है। इसी तरह से यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (जेकेएफएफ) और कश्मीर टाइगर्स का संबंध भी किसी न किसी बड़े आतंकी संगठनों से रहा है। इसी तर्ज पर ‘इस्लामिक स्टेट’ ने भी अलग-अलग नामों से अपनी सहयोगी इकाई तैयार की हैं। इन्हें इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवंत (आईएसआईएल), इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और सीरिया (आईएसआईएस), इस्लामिक स्टेट इन खुरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) और आईएसआईएस विलायत खोरासान/इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द शम खुरासान (आईएसआईएस-के) के नाम से पहचाना जाता है।
सुरक्षा एजेंसियों को गच्चा देने का प्रयास
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा खुफिया जानकारी के आधार पर महाराष्ट्र में आईएसआईएस मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया था। इसके लिए एनआईए ने मुंबई, ठाणे और पुणे में व्यापक छापेमारी की थी। आरोपियों की पहचान मुंबई के नागपाड़ा से ताबिश नासिर सिद्दीकी, कोंढवा पुणे से जुबैर नूर मोहम्मद शेख उर्फ अबू नुसैबा और पडघा ठाणे से शरजील शेख और जुल्फिकार अली बड़ौदावाला के रूप में हुई थी। ये सभी आरोपी, आईएसआईएस के मुखौटे तैयार कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। एनआईए की प्रारंभिक जांच के अनुसार, इन लोगों ने आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की साजिश रची थी। दूसरे राज्यों तक आतंकी गतिविधियों को ले जाया जाए, इसके लिए स्लीपर सेल तैयार किए जा रहे थे। विश्वसनीय इनपुट के बाद हुई छापेमारी में एनआईए ने ताबिश नासिर सिद्दीकी, जुबैर नूर मोहम्मद शेख उर्फ अबू नुसैबा, शारजील शेख और जुल्फिकार अली बड़ौदावाला ने अपने संगठन में युवाओं की भर्ती शुरू की थी। युवाओं को आईईडी तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया। इन संगठनों की रणनीति यह रही कि ये सुरक्षा बलों के साथ सीधे टकराव से बचते थे। युवाओं को किसी भी भवन, वाहन या भीड़ भरे इलाकों में आईईडी लगाने का प्रशिक्षण दिया गया। सुरक्षा एजेंसियों को मूल आतंकी संगठन पर शक न हो, इसके लिए मुखौटों का इस्तेमाल किया गया।
‘मेक इन इंडिया’ पर आगे बढ़ रहे थे आतंकी
आईएसआईएस से जुड़े आतंकी संगठनों की एक नई बात देखने को मिली है। ये संगठन, सोशल मीडिया या डार्कनेट के जरिए हर तरह की ट्रेनिंग ले रहे थे। इन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ को अपनाया। मतलब, कोई भी हथियार, आईईडी, रोबोट व दूसरे उपकरण स्थानीय स्तर पर ही तैयार किए जाते थे। डार्कनेट के माध्यम से ये आतंकी संगठन अपने सदस्यों को बताते थे कि उन्हें आईईडी या रोबोट बम कैसे तैयार करना है। उसके लिए सामग्री कहां से मिलेगी। सभी नए सदस्यों को ‘डू इट योरसेल्फ किट’ (डीआईवाई) प्रदान की जाती थी। ‘आईएसआईएस’, ने भारत में रोबोट के जरिए आतंकी हमले कराने की साजिश रची है। इसके लिए ‘रोबोटिक्स पाठ्यक्रम’ का कोर्स शुरू किया गया है। आतंकी संगठन का मकसद है कि आने वाले समय में बड़े हमलों के लिए रोबोट तैयार किए जाएं। रोबोट के माध्यम से भीड़ भरे स्थानों, बहुमंजिला इमारतों, सैन्य प्रतिष्ठानों और सड़क पर चल रहे वाहनों को निशाना बनाया जा सकता है। जम्मू कश्मीर और उत्तर पूर्व जैसे इलाकों में, जहां पर सैन्य बलों के लंबे काफिले चलते हैं, वहां पर आतंकी रोबोट खतरनाक साबित हो सकते हैं। एनआईए द्वारा कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के आईएसआईएस साजिश मामले में नौ लोगों के खिलाफ दायर पहले पूरक आरोप पत्र में यह बात सामने आई थी।