सांकेतिक तस्वीर…
– फोटो : amar ujala
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शामली के काजीवाड़ा मोहल्ले की रहने वाली अरशी पिता के किए गए वायदे को पूरा करने के लिए पाकिस्तान के लाहौर में उबैद के साथ निकाह करने के लिए मां शगुफ्ता परवीन के साथ दो दिन पूर्व पाकिस्तान के लिए रवाना हो गई। शादी को लेकर अरशी और उबैद के परिवार में खुशी की लहर है। मां बेटी के पाकिस्तान पहुंचते ही निकाह की तारीख तय हो जाएगी।
काजीवाड़ा मोहल्ले में सलाउद्दीन का परिवार रहता है। परिवार के सदस्य नौकरी और मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। बताया गया कि पाकिस्तान के लाहौर शहर की रहने वाली शगुफ्ता परवीन की शादी करीब 47 साल पहले शामली के काजीवाड़ा मोहल्ले के रहने वाले सलाउद्दीन के साथ हुई थी। सलाउद्दीन के परिवार में दो बेटे और दो बेटी हैं।
कोरोना काल के दौरान बीमारी के कारण सलाउद्दीन का देहांत हो गया था। सलाउद्दीन के बेटे फैसल ने बताया कि देहांत से पूर्व ही अब्बा ने अरशी की शादी अम्मी के घर लाहौर में रहने वाले चाचा के लड़के उबैद से तय की थी। मगर बीच में अब्बा का इंतकाल हो गया। पिता के किए गए वायदे को पूरा करने के लिए सोमवार को मां शगुफ्ता और बहन अरशी कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने के बाद लाहौर के लिए रवाना हो गये।
मंगलवार को दोनों ने बार्डर पार किया। पाकिस्तान जाने के बाद ही अरशी और उबैद की निकाह की तारीख तय होगी। हालांकि पाकिस्तान से लौटने से पूर्व ही निकाह होने की उम्मीद है जिसकी तैयारी उबैद और उसके परिजनों ने की हुई है। कहा कि रिश्तेदारी में ही बहन का निकाह हो रहा है, जिसको लेकर परिवार के लोग भी खुश है और वापस लौटने पर स्वागत की तैयारी कर रहे हैं।
नौकरीपेशा है उबैद
अरशी के परिजनों ने बताया कि उबैद लाहौर में ही नौकरी करता है। उबैद का परिवार भी बहुत अच्छा है। पहले से ही रिश्तेदारी होने और वायदे के कारण ही अरशी का निकाह लाहौर में तय की है। काफी समय पहले ही दोनों का निकाह तय कर दिया गया था, बस तारीख तय होना बाकी है।
मामले की जानकारी से किया इनकार
इस बारे में एलआईयू इंस्पेक्टर पूनम का कहना है कि काजीवाड़ा से मां और बेटी के पाकिस्तान जाने की सूचना नहीं है। उनके यहां पर पाकिस्तान जाने वाले नहीं बल्कि आने वालों का ब्योरा रखा जाता है। पाकिस्तान से आने वाले जहां खुद ही एलआईयू कार्यालय में आकर जानकारी देते हैं, वहीं विभागीय टीम भी इसका ब्योरा जुटाती है।
जिले के 70 से अधिक लोगों की पाकिस्तान में हैं रिश्तेदारियां
सूत्रों के अनुसार, शामली, कैराना और अन्य स्थानों के 70 से अधिक लोगों की पाकिस्तान के लाहौर और अन्य शहरों में रिश्तेदारियां हैं। सभी वीजा और पासपोर्ट के आधार पर रिश्तेदारियों में आते और जाते रहते हैं। किसी के परिवार में पाकिस्तान से जहां बहुएं आई हुई हैं, वहीं कुछ के फूफा या फिर अन्य रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं। पुलिस और एलआईयू समय-समय पर परिवारों का वेरीफिकेशन भी करती रहती है।