इन गांवों में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन
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भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार क्षेत्र के सात गांव के सैकड़ों परिवारों में नहीं मनाया जाता। ये गांव गुर्जर समाज के कुलियाना और भाटी गोत्र के हैं। इन गांवों रहने वाले सैकड़ों परिवार अनहोनी के डर से यह पर्व नहीं मनाते हैं।
बहन अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधती। रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाए जाने के पीछे बुजुर्ग सदियों पहले इसी दिन हुए हादसे में युवकों की मौत को कारण बताते हैं। जिनकी गम में भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन छूट गया।
आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी दीर्घायु की कामना करेंगी। वहीं जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां गुर्जर समाज के सैकड़ों परिवारों में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता।
गांव चंदनपुर खादर, छपना, बिजनौरा, शहवाजपुर गुर्जर, मेहरपुर गुर्जर गांव में गुर्जर समाज के कुलियाना गोत्र और खरखौदा व पतेई खादर में भाटी गौत्र के सैकड़ों परिवारों में कोई भी बहन अपने भाई को राखी नहीं बांधेगी। खरखौदा निवासी 80 वर्षीय ओमवती कहती हैं कि चंदनपुर में पुराने बुजुर्गों के मुताबिक दो सदियों से रक्षाबंधन नहीं मनाया जा रहा है।