मुरादाबाद। परिवहन निगम में अनुबंध पर बसें जुड़ने के बाद संख्या जरूर बढ़ गई है लेकिन गांवों के रूटों पर संचालन बंद हो गया है। कई गांव ऐसे हैं जिनमें ग्रामीण बस सेवा के तहत वर्षों पहले संचालन शुरू किया गया था। वहां अब बसें नहीं जातीं। मंडल में 700 बसें होने के बावजूद 481 गांवों के लोगों को शहर की दौड़ लगानी पड़ती है। यहां से उन्हें अपने गंतव्य के लिए बसें मिलती हैं।
इसमें मुरादाबाद, कुंदरकी, बिलारी, ठाकुरद्वारा, कांठ, भोजपुर, मूंढापांडे, भगतपुर, डिलारी, छजलैट, पाकबड़ा, अगवानपुर क्षेत्र के गांव शामिल हैं। परिवहन निगम का मानना है कि इनमें से 460 गावों में मोटरेबल मार्ग नहीं है। यानी सड़कों की स्थिति ऐसी नहीं है कि बसें चलाई जा सकें। इससे इतर जिले के 21 गांव ऐसे भी हैं, जहां मोटरेबल मार्ग भी है और बसों के लिए वर्षों से लोगों की मांग भी। इसके बावजूद निगम इन गावों को बस यातायात से नहीं जोड़ पा रहा है। मंडल मुख्यालय होने के बावजूद मुरादाबाद इकलौता ऐसा जनपद है जिसके अच्छे सड़क मार्ग वाले गांवों तक बसें नहीं जा रही हैं। यहां के अलावा अमरोहा, रामपुर, बिजनौर, चांदपुर, धामपुर, नजीबाबाद डिपो का कोई ऐसा गांव नहीं है जहां की सड़कें ठीक हों और बसें न जाती हों। खुद परिवहन निगम के अधिकारी इस बात को स्वीकार करते हैं।
बसें चलाने के लिए तलाशे जा रहे उसी गांव के ड्राइवर
मुरादाबाद जनपद के विभिन्न क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि भी परिवहन निगम के अधिकारियों से पत्र लिखकर अपने गांवों में बसें चलाने के लिए अपील कर चुके हैं। इसके बावजूद को खास असर नहीं हुआ है। कई गांवों में बसें चलाने के लिए परिवहन निगम उसी गांव के ड्राइवर तलाश कर रहा है, जिससे रात होने पर बस को गांव में ही खड़ा किया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि यदि गांव का ड्राइवर नहीं मिलेगा तो क्या कभी बस नहीं चलेगी। इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं है।