सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
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घोसी उपचुनाव ने जश्न के साथ सपा को नए सिरे से रणनीति तय करने का मौका दिया है। माना जा रहा है कि सपा पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक यानी पीडीए के मुद्दे तो प्रमुखता से उठाएगी, साथ ही अगड़ों को साथ लेने में भी कसर नहीं छोड़ेगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव घोसी के इस सबक के मुताबिक आगे की रणनीति तय करेंगे।
रामपुर का गढ़ गंवाने के बाद सपा नेतृत्व ने राजनीतिक रणनीति के लिहाज से फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ाने शुरू किए। अखिलेश ने घोसी में टिकट फाइनल करने से पहले मऊ और आजमगढ़ के प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं को पार्टी कार्यालय पर बुलाया था। साथ ही टिकट के दोनों दावेदार सुधाकर सिंह और रामजतन राजभर भी उसी दिन पार्टी मुख्यालय पर आए थे।
अखिलेश ने पहले हॉल में कार्यकर्ताओं के साथ मंथन किया। फिर सुधाकर व रामजतन और उनके प्रमुख समर्थकों को अपने साथ अलग कमरे में बैठाया। गुणा-गणित ऐसे समझाया कि सर्वसम्मति से सुधाकर का नाम तय हो गया, जिसकी सूचना कुछ ही मिनटों के बाद पार्टी ने आधिकारिक तौर से सार्वजनिक कर दी।
जिस तरह से टिकट देने से पहले क्षेत्र के लोगों से रायशुमारी की गई, उसने एक तरह से विजय की नींव रख दी। हालांकि, बताते हैं कि अखिलेश अपने चाचा शिवपाल सिंह के साथ वहां के समीकरणों पर होमवर्क पहले ही कर चुके थे।