मुरादाबाद। जल्द ही शहर में गणेश उत्सव की धूम नजर आने लगेगी। 19 सितंबर से इसकी शुरुआत होगी। शहर में करीब सौ स्थानों पर पूजे जाएंगे गणपति बप्पा। इसके लिए मूर्तिकारों ने काम शुरू कर दिया है। मिट्टी की पारंपरिक प्रतिमाओं के साथ-साथ कुछ लोग पीतलनगरी की धातु से बनने वाली गणपति प्रतिमाओं में भी रुचि ले रहे हैं। इससे पीतल व्यवसाय से जुड़े लोगों की सक्रियता भी बढ़ गई है।
इस बार 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी से गणपति पूजा का भव्य आयोजन होगा। इसको लेकर श्रद्धालुओं में उल्लास है। कई जगह बड़े और आकर्षक पंडाल में गणपति बप्पा की मूर्तियां विधि विधान से स्थापित होंगी। गणेश उत्सव को लेकर श्रद्धालुओं और मूर्तिकारों में उमंग का संचार हो रहा है। राजस्थान और पीतलनगरी के मूर्तिकारों ने तरह-तरह की भगवान गणेश की मूर्तियां बनाई हैं। मूर्तिकार अमित ने बताया कि छोटी मूर्तियों को बनाने का कार्य पूरा हो गया है। आठ इंच से लेकर दस फीट तक की मूर्ति बनाई जा रही है। दस इंच से छह फीट तक की मूर्तियों की कीमत सौ रुपये से छह हजार रुपये तक है।
मूर्तिकार दीपक कुमार ने बताया कि भगवान गणेश की महाराष्ट्र, लखनऊ से कच्ची मिट्टी की मूर्तियां मंगवाई हैं। इन मूर्तियों पर वस्त्रों की और नग आदि से सजावट की गई है। आधा फीट से आठ फीट तक की मूर्ति उपलब्ध है। इको फ्रेंडली मूर्ति की ज्यादा मांग है। सौ रुपये से 15 सौ रुपये तक छोटी मूर्तियों की कीमत है। आठ फीट की मूर्ति करीब 20 हजार रुपये की है। भगवान गणेश चूहा, सिंहासन, कमल आदि पर विराजमान हैं। करीब डेढ़ सौ ऑर्डर बुक हो चुके हैं। एक हजार तक बुकिंग होने का अनुमान है। आखिरी समय में बुकिंग करने का चलन हो गया है। रविवार से सबसे ज्यादा बिक्री शुरू होगी।
दक्षिण भारत में पीतल की मूर्तियों की खूब मांग
दुकानदार मुकुल अग्रवाल ने बताया कि पीतल की मूर्तियों का मुंबई, बंगलुरू, अहमदाबाद और दक्षिण भारत में मांग ज्यादा है। तीन इंच से चार फीट की मूर्तियां हैं। इनकी कीमत एक लाख रुपये तक है। इस समय बाजार में भरपूर काम है। दुकानदार अतुल अग्रवाल ने बताया कि मुंबई के अलावा दिल्ली से मांग आई है। मूर्ति के अलावा सिर्फ चूहा की मांग है। मुंबई को दो फीट तक के चूहा की प्रतिमाएं भेजी गई हैं। इसकी कीमत 35 से 40 हजार रुपये है। सौ किलो की गणेश भगवान की मूर्तियों का ऑर्डर है, जो करीब एक लाख 20 हजार रुपये की है। मूर्तियों पर रंगों से वस्त्रों का रूप दिया गया है। इसी सजावट की ज्यादा मांग है।