होयसल के पवित्र मंदिर समूह
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पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन के बाद अब कर्नाटक में ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह’ बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसल मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने सोमवार को इसका एलान किया। यह निर्णय सऊदी अरब के रियाद में जारी विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान लिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए गर्व का पल करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए और भी गौरव की बात। होयसल के शानदार पवित्र मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। होयसल मंदिरों की शाश्वत सुंदरता भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हमारे पूर्वजों के असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एक और अच्छी खबर आ रही है। हमारी पारंपरिक कला और वास्तुकला के लिए एक और मान्यता। ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह’ यूनेस्को की संभावित सूची में अप्रैल 2014 से ही शामिल थे। भारत ने इसे साल 2022-2023 के लिए विश्व धरोहर के रूप में विचार के लिए नामांकन के रूप में भेजा था।
होयसल मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी में बनाए गए थे
होयसल मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी में बनाए गए थे। कला एवं साहित्य के संरक्षक माने जाते होयसल राजवंश की यह राजधानी थी। तीन होयसला मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत संरक्षित स्मारक हैं। इसलिए एएसआई इसका संरक्षण और रखरखाव करता है।
शांतिनिकेतन भी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल
इससे पहले पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। शांतिनिकेतन में ही कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती की स्थापना की थी। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें खुशी और गर्व है कि शांतिनिकेतन को आखिरकार यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
पीएम मोदी बोले- सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है। खुशी है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।