राधास्वामी सत्संग सभा: धार्मिक संस्था से 113 साल पहले शुरू हुआ सफर, साम्राज्य बढ़ाने को बनाई ऐसी सेना; जो जान देने के लिए तैयार

राधास्वामी सत्संग सभा: धार्मिक संस्था से 113 साल पहले शुरू हुआ सफर, साम्राज्य बढ़ाने को बनाई ऐसी सेना; जो जान देने के लिए तैयार


Radha Soami Satsang Agra Dayalbagh : राधास्वामी सत्संग सभा धार्मिक और शैक्षिक संस्था के तौर पर 113 साल पहले स्थापित की गई थी। धीरे-धीरे जमीनों की भूख इस कदर बढ़ी कि ये सफर भूमाफिया बनने तक जा पहुंचा। 16 सितंबर 2023 को तहसील स्तर की एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स ने बैठक कर राधास्वामी सत्संग सभा के अध्यक्ष समेत तीन पदाधिकारियों को भूमाफिया घोषित करने की सिफारिश की थी। 26 मार्च 1910 को बनाई गई सत्संग सभा ने 29 दिसंबर 1910 को अपना संविधान और बायलॉज तैयार किया था। जिसमें केवल दान में दी गई जमीनों और अधिग्रहण से मिली जमीनों के रखरखाव का उद्देश्य बताया गया था। जमीन अधिग्रहण के लिए सत्संग सभा ने 2 सितंबर 1942 को ब्रिटिश सरकार को अपने संविधान और बायलॉज की मूल प्रति भी दाखिल की थी।

1915 में हुई थी काॅलोनी की स्थापना

राधास्वामी सत्संग सभा ने दयालबाग काॅलोनी की स्थापना 20 जनवरी 1915 को शहतूत का पौधा रोपकर की थी। यह 40 सदस्यीय सभा 1860 के एक्ट-21 के तहत रजिस्टर की गई थी। सभा का पूरा नाम ‘राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग, आगरा’ के नाम से दर्ज कराया गया है। जबकि अब जमीनों पर बोर्ड ‘राधा स्व आ मी सत्संग सभा’ के लगे हैं। सभा के बायलॉज और संविधान में स्पष्ट लिखा है कि सभा केवल उन संपत्तियों का प्रबंधन करेगी जो राधास्वामी दयाल को दान में दी गई हैं या अधिगृहीत की गई है। ब्रिटिश सरकार के समय में ही 1943 से 1949 तक मेडिकल काॅलेज, खेल मैदान, काॅलोनी बनाने, शिक्षण संस्थान के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए सत्संग सभा ने प्रस्ताव दिए थे।

 



राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग 1910 में बनी थी। पहली बार आजाद भारत में 1949 में विद्युत नगर का रास्ता बंद करने के मामले में कलेक्ट्रेट में लोगों ने इनके खिलाफ प्रदर्शन किया था। उसके बाद लगातार प्रदर्शन, पथराव, गोलीबारी, मारपीट के मामले होते गए, पर प्रशासन एक बार भी कार्रवाई नहीं कर पाया। पूर्व विधायक विजय सिंह राणा ने 1984 में आंदोलन की शुरूआत की, पर सत्संग सभा ने कब्जे नहीं हटाए। पहली बार शनिवार को डीएम भानु चंद्र गोस्वामी के आदेश पर सत्संग सभा के छह गेट ध्वस्त किए गए। 


1967 बीघा जमीन ब्रिटिश सरकार से मांगी

राधास्वामी सत्संग सभा ने दयालबाग में काॅलोनी के बाद जमीनों का सिलसिला 1942 से शुरू किया। तत्कालीन अध्यक्ष पीबी जीडी मेहता, राय बहादुर की अध्यक्षता वाली सभा के सचिव बाबूराम जादौन ने ब्रिटिश सरकार से कुल 1967 बीघा जमीन मांगी थी। इसमें मेडिकल काॅलेज, डेयरी फार्म, काॅलोनी का विस्तार, खेल मैदान, ईंट-भट्ठा आदि के लिए जमीनों के अधिग्रहण के प्रस्ताव दिए गए थे। खासपुर, घटवासन, लखनपुर, जगनपुर मुस्तकिल, सिकंदरपुर, मनोहरपुर, नगला पदी, मऊ में जमीनों को लेकर विवाद तभी से शुरू हुए। साल 1948 से 50 के बीच ग्रामीणों और राधास्वामी सत्संग सभा के बीच कई बार टकराव हुए और कलेक्ट्रेट पर सत्संग सभा के विरोध में प्रदर्शन, धरना भी चलते रहे। पहली बार सत्संग सभा के पदाधिकारियों पर प्रशासन एफआईआर करा पाया है।


ऐसे हुआ बवाल

राधास्वामी सत्संग सभा ने पहले पुलिस को कागजों में उलझाया और उसके बाद एकदम से घेराबंदी कर दी। सत्संगियों की यह रणनीति भी पुलिस पर भारी पड़ी। पुलिस जब टेनरी गेट तक बुलडोजर लेकर पहुंची तब सत्संगियों की संख्या कम थी। सत्संग सभा के पदाधिकारी कागज दिखाने लगे। इसमें समय गुजरता गया और सत्संगी अपनी संख्या बढ़ाते गए। पुलिस यह रणनीति समझ नहीं पाई और तीन तरफ से घिर गई।


शुरू हो गई कहासुनी

रविवार शाम करीब 4:30 बजे फोर्स टेनरी गेट दयालबाग पहुंचा। गेट बंद था और कुछ सत्संगी अंदर थे। कहासुनी होने लगी। सत्संग सभा के कुछ पदाधिकारी कागज लेकर आए और प्रशासनिक अधिकारियों को दिखाने लगे। आधे घंटे का समय इसमें गुजर गया। तब तक हजारों सत्संगी आ पहुंचे। करीब 6 बजे तक पोइया घाट और दयालबाग कॉलेज की तरफ से भी सत्संगी आ पहुंचे। फोर्स को तीन तरफ से घेर लिया। 




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