सांकेतिक तस्वीर।
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देवरिया जिले के रुद्रपुर के फतेहपुर गांव में सोमवार सुबह जमीन विवाद में हुई छह लोगाें की हत्या ने पूरे सूबे को हिला दिया है। इस जघन्य हत्याकांड ने तकरीबन 30 साल पहले 31 अगस्त 1993 को झंगहा थाने के बौठा गांव में हुए खूनी संघर्ष की याद दिला दी है। जिसमें राजनीतिक वर्चस्व में महज तीन घंटे में ही आठ लाशें गिरी थीं। उस घटना से उबरने में पूरे गांव को कई साल लग गए थे। इसी तरह जमीन व वर्चस्व को लेकर कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिसे याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती है।
जानकारी के मुताबिक, बौठा गांव में शिव सकल यादव और रामभवन यादव एक साथ रहते थे। दोनों राजनीति करते थे। दोनों का प्रभाव गांव में था। बाद में दोनों में राजनीतिक वर्चस्व को लेकर खटपट हो गई। दोनों ने अलग-अलग गुट बना लिया।
31 अगस्त 1993 को दोनों विशुनपुर गांव में अपनी-अपनी दुकान पर चले गए थे। बरसात का समय था, बारिश मूसलाधार हो रही थी। इसी बीच शाम करीब चार बजे शिव सकल यादव और उनके भाई रामसकल यादव की गांव के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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