महाराष्ट्र का कस्बा मालेगांव अपने आप में एक छोटी मोटी फिल्म इंडस्ट्री है, जहां पर यूट्यूब और सोशल मीडिया आने के पहले से फिल्में बनती रही हैं। मालेगांव की ये फिल्म इंडस्ट्री चर्चा में पहली बार तब आई जब यहां के लोगों ने 1990 के दशक में ‘शोले’, ‘डॉन’, ‘शान’ जैसी कई अन्य प्रसिद्ध व्यावसायिक फिल्मों की पैरोडी बनाई। आज मालेगांव के लोग यूट्यूब चैनल के लिए छोटी -छोटी फिल्मे बनाकर खूब कमाई कर रहे है। जिन्हें मालेगांव का सुपरहीरो कहा जाता है। रीमा कागती मालेगांव के इन्हीं कलाकारों पर ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’ फिल्म बना रही हैं, जिसमें अभिनेता आदर्श गौरव एक खास किरदार निभा रहे हैं। वैसे इसी नाम से साल 2008 में एक डॉक्यूमेंट्री भी मालेगांव पर बन चुकी है।
मालेगांव के फिल्म निर्माताओं के पास एक अनोखा दृष्टिकोण है। उनकी फिल्में बाकी लोगों से अलग कैसे होती है? फिल्म ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’ की शूटिंग के दौरान अभिनेता आदर्श गौरव ने नजदीक से जानने की कोशिश की। आदर्श गौरव कहते हैं, ‘मालेगांव के फिल्म निर्माताओं के पास एक अनोखा दृष्टिकोण है। वह जो भी बनाते हैं लोग खूब पसंद करते हैं। उनकी हर फिल्म में उनके काम का समर्पण और प्यार झलकता है। उनकी लगभग सभी फिल्में पैसा कमाती है। उन्होंने सिनेमा की एक नई शैली को विकसित किया है। जिसे समझने और सीखने की जरूरत है।’
अभिनेता आदर्श गौरव की फिल्म ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’ की कहानी मालेगांव के उन लोगों की है जो अपनी अलग सोच और कहानियों के जरिए लोगों का वर्षों से मनोरंजन करते आ रहे हैं। और, अपनी एक अलग इंडस्ट्री बना ली है। आदर्श गौरव कहते हैं, ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’ का हिस्सा बन कर मालेगांव फिल्म उद्योग की दुनिया नजदीक से समझने का मौका मिला। छोटी -छोटी फिल्मों के निर्माण को लेकर जो अपना एक अलग दृष्टिकोण और सिनेमाई परिदृश्य को बढ़ावा देने वाले उनके अटूट समर्पण की गहरी समझ से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है।
जब से यूट्यूब चैनल का आगमन हुआ है तब से मालेगांव के लोग यूट्यूब के लिए फिल्में बनाकर खूब कमाई कर रहे हैं। मालेगांव में कई चैनल हैं जो 10-15 मिनट के कॉमेडी स्केच और स्पूफ तैयार करते हैं, जिन्हें लाखों व्यूज मिलते हैं। मालेगांव में कहानी कहने की यह यात्रा विशेष रूप से बॉलीवुड फिल्मों की प्रस्तुति वाले साधारण अस्थायी थिएटरों से लेकर लोकप्रिय फिल्मों के स्पूफ तैयार करने और अब यूट्यूब पर जारी कॉन्टेंट का निर्माण करने तक विकसित हुई है। आदर्श गौरव कहते हैं , ‘मालेगांव के लोगों की सोच और सिनेमा को लेकर उनके बिजनेस मॉडल को देखते हुए काफी कुछ जानने और सीखने को मिला है।’