Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह में वैधता स्थापित करने के लिए सप्तपदी (सात वचनों के सात फेरे) अनिवार्य तत्व हैं। सभी रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुए विवाह समारोह को ही कानून की नजर में वैध विवाह माना जा सकता है। यदि ऐसा नहीं है तो विवाह शून्य है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत ने याची स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह के विरुद्ध निचली अदालत द्वारा जारी सम्मन को रद्द करते हुए की।
याची के विरुद्ध उसके पति और ससुराल वालों ने बिना तलाक लिए दूसरा विवाह करने का आरोप लगाया था। वाराणसी जिला अदालत ने परिवाद का संज्ञान लेते हुए याची के विरुद्ध सम्मन जारी कर अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। याची ने सम्मन और परिवाद को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याची का कहना था कि उसका विवाह पांच जून 2017 को सत्यम सिंह के साथ हुआ था। कुछ समय बाद दोनों में आपसी मतभेद पैदा हो गए। इस कारण याची ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया। आरोप लगाया कि ससुराल वालों ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। इस मामले में पुलिस पति व ससुराल वालों के खिलाफ विचारण न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है।