जूते
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गलत साइज के जूते खिलाड़ियों को चोटिल और अर्थराइटिस से ग्रसित कर रहे हैं। खिलाड़ियों को पैरों की बनावट के हिसाब से जूते पहनने चाहिए। सिर्फ साइज के आधार पर लिए जूते पैरों के विकास में बाधा पहुंचाते हैं। जूते, पैरों की आर्क और अगले पिछले हिस्से की बनावट को ध्यान में रख बनाए जूते खरीदने और पहनने चाहिए। गलत जूतों की वजह से 25 फीसदी खिलाड़ी 23 की उम्र में ही अनफिट होकर खेलों से बाहर हो रहे हैं। प्रोफेसर बीसी कापरी के निर्देशन में बीएचयू कला संकाय में खेल विज्ञान विभाग के शोध छात्र पांच साल से भारतीय खिलाड़ियों के पैरों और जूतों पर शोध कर रहे हैं।
शोध छात्र सौरभ मिश्र ने बताया कि जो लोग ज्यादातर खड़े होकर काम करते हैं या पैरों से अधिक काम लेते हैं, उन्हें अपने जूतों पर खास ध्यान देना चाहिए। भारतीयों के पैरों की बनावट और आर्क के हिसाब से जूते बनाने के लिए चेन्नई में शोध शुरू हुआ है। सौरभ ने बताया कि भारतीय लोगों के पैरों के हिसाब के जूते नहीं बनते हैं। इनके मानक यूके और यूएस के हिसाब से तय होते हैं।
अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग जूते
इन दोनों देशों के लोगों की औसत लंबाई भारतीयों के मुकाबले अधिक और इनके आर्क भी अलग होते हैं। सलाह दी कि लोगों को अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग जूते पहनने चाहिए। खेलों में पैरों का इस्तेमाल ज्यादा होता है। इससे इंजरी भी होती है। अगर पैरों की बनावट के हिसाब के जूते पहने जाए तो इंजरी कम हो सकती है। चोट की वजह से खिलाड़ी जल्दी रिटायर नहीं होंगे।
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