न्यूजक्लिक मामला : एफआईआर में खुलासा- भारत की संप्रभुता में दखल देने के लिए चीन से बड़े पैमाने पर आया पैसा

न्यूजक्लिक मामला : एफआईआर में खुलासा- भारत की संप्रभुता में दखल देने के लिए चीन से बड़े पैमाने पर आया पैसा



सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


दिल्ली पुलिस की एफआईआर में न्यूज पोर्टल न्यूजक्लिक को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि भारत की संप्रभुता में हस्तक्षेप करने और बड़ी आपराधिक साजिश के तहत देश में असंतोष पैदा करने के इरादे से चीन से बड़ी मात्रा में पैसा निवेश किया गया। 

एफआईआर में कहा गया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सक्रिय सदस्य नेविल रॉय सिंघम ने फर्जी तरीके से विदेशी फंड का निवेश किया था। कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को पोर्टल को एफआईआर की एक प्रति दी। एफआईआर में कहा गया है कि शाओमी और वीवो जैसी चीनी दूरसंचार कंपनियों ने साजिश को आगे बढ़ाने के लिए भारत में अवैध रूप से विदेशी फंड लाने के लिए पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम), फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) का उल्लंघन करते हुए भारत में हजारों शेल कंपनियों को शामिल किया। 

एफआईआर में कहा गया है कि 2018 में बने पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड में शेयरधारक गौतम नवलखा भारत विरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे।  इनमें प्रतिबंधित नक्सली संगठनों को सक्रिय रूप से समर्थन देना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट गुलाम नबी फई के साथ संपर्क रखना शामिल है। 

इन्हें बांटा गया पैसा

एफआईआर के मुताबिक, विदेशी फंड प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के समर्थकों, गौतम नवलखा, तीस्ता सीतलवाड़ के सहयोगियों, उनके पति व कार्यकर्ता जावेद आनंद, तमारा, जिब्रान, पत्रकार उर्मिलेश, अरात्रिका हलदर, परंजय गुहा ठाकुरता, त्रिना शंकर और अभिसार शर्मा को दिया गया। आरोप है कि नवलखा आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फई के साथ देश विरोधी सांठगांठ में शामिल रहे। प्रबीर, नेविल और नेविल की शंघाई स्थित कंपनी स्टारस्ट्रीम के अन्य कर्मचारियों ने मेल का आदान-प्रदान किया है जो कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं दिखाने के उनके इरादे को उजागर करता है। कोविड-19 महामारी को रोकने के भारत सरकार के प्रयासों को बदनाम करने के लिए एक झूठी कहानी भी प्रचारित की गई। 

भारत की आलोचना व चीन की प्रशंसा की गई

एफआईआर के अनुसार, भारत की संप्रभुता में हस्तक्षेप करने और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के इरादे से जानबूझकर पेड न्यूज का प्रसार किया गया था। इसमें घरेलू नीतियों, भारत की विकास  परियोजनाओं की निंदा की गई थी और चीन सरकार की परियोजनाओं और रक्षा नीतियों एवं कार्यक्रमों की प्रशंसा की गई थी। यह भी आरोप लगाया गया कि न्यूजक्लिक के संस्थापक एवं प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेकुलरिज्म (पीएडीएस) नाम के समूह के साथ साजिश रची थी। 

रिमांड आवेदन में गिरफ्तारी के आधार का खुलासा न करने पर उठाया सवाल

उच्च न्यायालय ने न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और इसके एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को हिरासत में लेने के लिए रिमांड आवेदन में गिरफ्तारी के आधार न बताने पर सवाल उठाया है। अदालत ने कहा, यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत प्रतीत होता है। लगता है आरोपी के वकील की बात नहीं सुनी गई। अदालत ने यह टिप्पणी आरोपियों द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने कहा कि प्रथम दृष्टया, यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत प्रतीत होता है, संभवतः एम3एम निदेशकों के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का जिक्र है। अदालत ने सुनवाई नौ अक्टूबर तक स्थगित करते हुए कहा जाहिर तौर पर आप रिमांड के लिए आवेदन में गिरफ्तारी के आधार का खुलासा नहीं करते। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आंखों पर पट्टी बांध रहा है। 



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