मुरादाबाद। पंचायत राज विभाग मुरादाबाद में नियुक्त सहायक विकास अधिकारियों और सचिवों द्वारा नियमानुसार संपत्ति घोषित नहीं किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी।
उत्तर प्रदेश पंचायत राज नियमावली अनुसूची 2 के नियम 7 के उपनियम 3 तहत 14 दिसंबर 2018 को जारी शासनादेश के तहत प्रत्येक कर्मचारी को अपनी नियुक्ति के समय और प्रत्येक पांच वर्ष पर अपनी चल और अचल संपत्ति की घोषणा करने का नियम है। फिर भी मुरादाबाद के पंचायत राज विभाग में नियुक्त एडीओ व सचिवों के द्वारा नियमानुसार अपनी संपत्ति घोषित नहीं किया है। इसकी शिकायत जनसूचना कार्यकर्ता इम्तियाज हुसैन एडवोकेट ने निदेशक पंचायती राज विभाग, कमिश्नर, डीएम, सीडीओ और डीपीआरओ से की थी। तत्कालीन डीपीआरओ आलोक प्रियदर्शी ने इस संबंध में कई बार पत्र जारी कर एडीओ पंचायत और सचिवों से अपनी संपत्ति की घोषणा करने के आदेश दिए थे।
इसके बावजूद सचिवों व एडीओ ने अपनी संपत्ति की घोषणा नहीं की। इसी मामले को लेकर इम्तियाज हुसैन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि कोई नियम पहले से है तो उसका पालन किया जाना चाहिए।
इसके लिए अलग से आदेश करने की आवश्यकता नहीं है। हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध अधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दाखिल की थी। 24 मार्च 2023 को इस एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।