Moradabad News: हद से ज्यादा शरारती है बच्चा तो मानसिक रोग के संकेत

Moradabad News: हद से ज्यादा शरारती है बच्चा तो मानसिक रोग के संकेत


मुरादाबाद। आपने अपने घर या पड़ोस में अक्सर किसी बच्चे को बहुत ज्यादा शैतानी करते देखा होगा। ऐसे बच्चे जोकि क्लास में अपने सहपाठियों के साथ झगड़ा करते हैं। बड़ों को भी चिढ़ाते रहते हैं, कुत्तों या अन्य जानवरों को परेशान करने में उन्हें आनंद आता है। ऐसे बच्चे वास्तव में शैतान नहीं बल्कि मानसिक बीमारी से पीड़ित होते हैं।

इसके विपरीत जो बच्चे ज्यादा सुस्त रहते हैं, जो हर काम सीखने में ज्यादा समय लेते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि वे भी मानसिक रोग से ग्रस्त होते हैं, जिसकी जानकारी अकसर उनके माता-पिता को भी नहीं होती। शहर के मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास हर दिन ऐसे मामले आ रहे हैं। हर 100 में से छह बच्चे उद्दंडता की बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टरों का कहना है कि आधे से अधिक मानसिक बीमारियां 14 साल की उम्र तक ही पैदा हो जाती हैं। बच्चों के व्यवहार में दिखने वाले मानसिक रोग के छोटे-छोटे लक्षण, बातें और हरकतें अगर नजरअंदाज कर दी जाएं तो ये उम्र भर दुख देती हैं। इसीलिए बहुत जरूरी है कि कम उम्र में ही समस्या को पहचान कर इलाज कराया जाए।

केस-1

लाइनपार विकास नगर निवासी व्यक्ति का बेटा 14 साल का है। उसकी जिद पूरी न की जाए तो घर के सामान तोड़ देता है। काफी नाराज हो जाता है और भोजन करना छोड़ देता है। शुरुआत में परिजनों को लगा कि धीरे धीरे व समझदार हो जाएगा लेकिन उम्र के साथ उसकी उद्दंडता बढ़ रही है। स्कूल से झगड़े की शिकायतें आने लगी हैं, पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता। अब उसका इलाज मानसिक रोग विशेषज्ञ से चल रहा है।

केस-2

आशियाना निवासी एक व्यापारी का बेटा 12 साल का है। अब भी सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देता है। स्कूल में अध्यापकों का कहना है कि अंग्रेजी पढ़ने व समझने में उसे काफी दिक्कत होती है। गुमसुम और चिढ़चिढ़ा रहता है। खाना कम खाता है और दोस्तों से मिलना भी कम कर दिया है। उसके पिता बच्चे के व्यवहार को लेकर चिंतित हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञ से बच्चे की काउंसलिंग करा रहे हैं।

इस तरह बच्चों में मानसिक रोग के लक्षण

– उम्र के हिसाब से बैठना, चलना, हर काम देरी से सीखना या पूरी तरह न सीख पाना

– किसी खास विषय को समझने, पढ़ने या लिखने में समस्या

– जानवरों को परेशान करने में मजा आना

– सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देना

– ज्यादा शरारती होना और जिद पर अड़ जाना

– शब्दों को उलटा पढ़ना, विषय में बेहद कमजोर होना

– भूख से अधिक भोजन करना और फिर उल्टियां

व्यवहार चिकित्सा है कारगर

मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. दिशांतर गोयल के मुताबिक बच्चों की मानसिक बीमारी में व्यवहार चिकित्सा सबसे कारगर है। माता-पिता बच्चों को समय दें और उनकी परेशानी को समझें। यदि बच्चा सुस्त है तो खेल, मनोरंजन या अन्य तरीके से उसकी एक्टिविटी बढ़ाने का प्रयास करें। इसके विपरीत यदि बच्चा ज्यादा शरारती है तो उसे समझाएं, जरूरत पड़ने पर डांट भी लगाएं। जिस चीज, खेल या भोजन को बच्चा ज्यादा पसंद करता हो, उसका सहारा लें। बताएं कि आदत नहीं बदली तो वह वस्तु नहीं मिल पाएगी।

– डिप्रेशन किसी को भी अचानक नहीं होता, ज्यादातर मामलों में उसका कारण बचपन से जुड़ा होता है। इसके अलावा अनुवांशिक भी बड़ा कारण है। 50 फीसदी से ज्यादा मामले 14 साल की उम्र तक सामने आ जाते हैं, जिन्हें परिवार वाले पहचान नहीं पाते।

– डॉ. दिशांतर गोयल, मानसिक रोग विशेषज्ञ



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