मुरादाबाद। प्रशासन ने जिले में 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक धन निवेश का सपना दिखाया था। दावा किया था कि निवेश से पीतलनगरी के एक लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। जिले की तस्वीर बदल जाएगी लेकिन हकीकत में 137 निवेशक ही 8052 करोड़ रुपये निवेश करने के लिए अधिकारियों के पास आए। इस प्रकार धरातल पर कार्य करने के लिए अभी 23 प्रतिशत निवेशक आए हैं। पता चला है कि काफी निवेशक प्रस्ताव देने के बाद अपने-अपने कारणों से चुप्पी साध रखी है।
जिले के सभी विभाग के अधिकारियों ने इन्वेस्टर्स समिट के लिए फरवरी में 35910 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया था। अधिकारियों को भरोसा था कि 309 निवेशक जिले में अपने-अपने प्रोजेक्ट लगाएंगे तो एक लाख से अधिक बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा लेकिन पांंच माह बीतने के बावजूद अधिकतर निवेशकों ने अपने प्रोजेक्ट पर काम ही नहीं किया। जिले में सबसे अधिक वन विभाग को 15 उद्यमियों ने 10316 करोड़ के प्रस्तावों को दिया था लेकिन पांच माह में कोई उद्यमी डीएफओ सूरज कुमार के पास प्रस्तावों के बारे में चर्चा करने के लिए नहीं आया। इसी प्रकार एडिशनल सोर्स आफ एनर्जी विभाग में आठ बड़े कारोबारियों ने 6837 रुपये निवेश करने के प्रस्ताव दिए थे।
इस बारे में नेडा के अधिकारी सीएस आजाद का कहना है कि उनको पता नहीं है कि कोई निवेश किया है। यही हाल स्वास्थ्य और शिक्षा का है। प्रस्ताव देने वाले निवेशकों को अब अधिकारी ढूंढ रहे हैं। रिलांयस मुंबई ने अपने प्रोजेक्ट के लिए शासन से जमीन की मांग की थी लेकिन अभी तक जमीन नहीं मिल सकी।