भारत-चीन सीमा विवाद
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भारत-चीन के बीच नौ और 10 अक्तूबर को कोर-कमांडर स्तर की बैठक हुई। यह बैठक का 20वां दौर था। बैठक भारतीय पक्ष में चुशुल-मोल्डो सीमा के पास हुई। दोनों देशों ने जल्द से जल्द और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य स्पष्ट, खुले और रचनात्मक तरीके से बातचीत की और विचारों को साझा किया।
दोनों देशों के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के मुताबिक बैठक में पश्चिमी क्षेत्र में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के साथ शेष मुद्दों के समाधान पर अहम चर्चा हुई। इस दौरान 13-14 अगस्त 2023 को आयोजित कोर कमांडरों की बैठक के दौरान उठाए गए मुद्दों और समाधान की भी समीक्षा की गई। इससे पहले 23 अप्रैल को हुई सैन्य वार्ता के 18वें दौर में भारतीय पक्ष ने डेपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए दबाव डाला था।
जानकारी के मुताबिक, भारत और चीन प्रासंगिक सैन्य और राजनयिक तंत्र के माध्यम से बातचीत और विचारों के आदान-प्रदान की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए। उन्होंने अंतरिम रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने की भी प्रतिबद्धता जताई।
चीन की आक्रामकता के बाद बिगड़े थे हालात
2020 में कोरोना के दौरान चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने के लिए भारी हथियारों और बड़ी संख्या में सैनिकों को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश के बाद पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच मामलों को सुलझाने के लिए कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता शुरू हुई थी।
पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद बढ़ा तनाव
पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पांच मई, 2020 को पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पैदा हुआ था। जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। सिलसिलेवार सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारों और गोगरा क्षेत्र में पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी की।
सैन्य-राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत पर सहमत
हालांकि, कई दौर की वार्ता के बाद दोनों देश पीछे हटने को तैयार हो गए थे। दोंनो ही देशों की सेनाएं पीछे हट गई थीं। कई इलाकों को लेकर अब भी वार्ता जारी है। आज हुई वार्ता में भी दोनों देश संपर्क में रहने और सैन्य-राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों के स्वीकार्य समाधान पर काम करने पर सहमत हुए।