बदलाव: संसद में सवालों के जरिये महिला सदस्यों ने बढ़ाई भागीदारी, भाजपा के कार्यकाल में हुईं ज्यादा मुखर

बदलाव: संसद में सवालों के जरिये महिला सदस्यों ने बढ़ाई भागीदारी, भाजपा के कार्यकाल में हुईं ज्यादा मुखर



महिला सांसदों के साथ पीएम मोदी (फाइल फोटो)
– फोटो : सोशल मीडिया

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संसद में महिला सांसदों की अहमियत उनकी संख्या के आधार पर समझी जाती रही है, लेकिन लोकतंत्र के मंदिर में पूछे जाने वाले सवालों के विश्लेषण से सामने आया है कि वे इनके जरिये भी अपनी अहमियत बढ़ा रही हैं और अपनी ही सरकार से सवाल करने में पुरुष सांसदों से आगे निकल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि की ओर से पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के विश्लेषण पर तैयार रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

18 मई 2009 से 18 मई 2014 तक चली 15वीं लोकसभा में 64 महिला सांसद थीं। इनमें 25 कांग्रेस से और 14 भाजपा से थीं। ये दोनों पार्टियों के कुल सांसदों का करीब 12-12 फीसदी था। उन्होंने मिलकर कुल 135 सवाल किए थे, जबकि पुरुष सांसदों ने इससे कहीं अधिक 250। यह स्थितियां 18 मई 2014 से 23 मई 2019 तक चली 16वीं लोकसभा में पूरी तरह बदल गईं। इसमें महिला सांसदों ने लोकसभा में जहां 218 सवाल पूछे वहीं, पुरुष सांसदों ने 219, यानी तकरीबन बराबर। 16वीं लोकसभा में 68 महिला सांसद थीं, जिनमें भाजपा की 32 और कांग्रेस की चार सांसद थीं।

भाजपा राज में महिला सांसदों को मिला प्रोत्साहन

रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा की महिला सांसदों की ओर से 15वीं लोकसभा में पूछे सवालों की माध्यिका आंकड़ा 355 था और कांग्रेस की महिला सांसदों के सवालों का 58। उस समय कांग्रेस सत्ता में थी और भाजपा विपक्ष में। रोचक आंकड़ा 16वीं लोकसभा का रहा, जिस समय भाजपा सत्ता में आ चुकी थी। यहां भाजपा महिला सांसदों का अपनी ही सरकार से किए सवालों का  माध्यिका आंकड़ा 346 रहा। यह संकेत है कि भाजपा के भीतर महिला सांसदों को सशक्तीकरण व प्रोत्साहन मिला।








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